देवघर हवाईअड्डा केस: BJP सांसदों के खिलाफ FIR रद्द करने के आदेश पर SC ने जारी किया नोटिस

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. आरोप है कि इन्होंने सितंबर 2022 में देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने देवघर हवाई अड्डे मामले में बीजेपी सांसदों के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. आरोप है कि इन्होंने सितंबर 2022 में देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया. साथ ही एटीसी को निजी विमान को उड़ान भरने की इजाजत देने के लिए धमकी दी और मजबूर किया.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने राज्य की याचिका पर दुबे, तिवारी और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किया. हाईकोर्ट ने कहा था कि आईपीसी अपराध लागू नहीं होते हैं. क्योंकि एक विशेष अधिनियम, यानी विमान अधिनियम, 1934 (अधिनियम) है. इसके अलावा, यह राय दी गई कि एफआईआर कायम रखने योग्य नहीं है, क्योंकि अधिनियम की धारा 12बी के अनुसार केवल डीजीसीए को शिकायत की जा सकती है.

इस मामले में राज्य सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि आईपीसी के तहत अपराध, विमान अधिनियम से अलग हैं. इसमें विमान अधिनियम लागू नहीं होगा. राज्य ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने सामान्य कानून (आईपीसी) पर प्रचलित विशेष कानून (विमान अधिनियम) के सिद्धांत को गलत तरीके से तय किया. आईपीसी प्रावधान विमान अधिनियम, 1934 की धारा 10 और 11 के तहत अपराधों से अलग हैं. 

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि जब हवाईअड्डे के जीवन और सुरक्षा को खतरे में डालकर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया गया हो, तो विमान अधिनियम आईपीसी पर हावी नहीं हो सकता.

Advertisement

ये भी पढ़ें:-

"दिल्ली में प्रशासनिक अराजकता के कारण..." : दिल्ली अध्यादेश को लेकर केंद्र का SC में हलफनामा

असम में चल रही परिसीमन प्रक्रिया का मामले में 10 विपक्षी नेता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

Featured Video Of The Day
Mumbai News: बारिश से पहले BMC की तैयारियों वाले दावे जमीनी सच्चाई से क्यों अलग?
Topics mentioned in this article