हिंद महासागर में समुद्री सतह तापमान से पता लगाया जा सकेगा डेंगू महामारी का अनुमान

इस अध्ययन के फलस्वरूप महामारी के खतरे का अनुमान लगा पाना और फिर उनके हिसाब से तैयारी कर पाना कई क्षेत्रों के लिए अहम हो सकता है.

Advertisement
Read Time: 2 mins
नई दिल्ली:

हिंद महासागर की समुद्री सतह के तापमान में असामान्य प्रवृतियों से वैश्विक डेंगू महामारी के रूझान का पता लगाने में मदद मिलेगी विशेषकर इनके मामलों की संख्या एवं समय के साथ उनमें संभावित बदलाव के बारे में. एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि तापमान में जो असमानता पता चली है वह ‘जलवायु संकेतक' हैं तथा ये महामारी का पूर्वानुमान लगाने और उस हिसाब से तैयारी की योजना में मदद कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि फिलहाल वर्षा और तापमान कुछ ऐसे जलवायु संकेतक हैं जिनका इस्तेमाल डेंगू जैसी बीमारियों के रूझान का अनुमान लगाने में पूर्व चेतावनी प्रणाली के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

अध्ययन दल ने बताया कि उदाहरण के तौर परअल नीनो जनित अधिक गर्म समुद्री सतह तापमान से संबंधित घटनाओं के बारे में समझा जाता है कि वे मच्छर प्रजनन को प्रभावित करते हुए दुनिया में डेंगू के प्रसार के तौर तरीके पर असर डालती हैं. इस अध्ययनन दल में चीन के ‘बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी' के अनुसंधानकर्ता भी शामिल हैं.

इस अध्ययन के फलस्वरूप महामारी के खतरे का अनुमान लगा पाना और फिर उनके हिसाब से तैयारी कर पाना कई क्षेत्रों के लिए अहम हो सकता है , खासकर ऐसे क्षेत्रों के लिए जहां मच्छर जनित यह बीमारी लगातार रहती है.

हालांकि अध्ययन लेखकों ने कहा कि डेंगू महामारियों से संबंधित लंबी दूरी जलवायु संकेतकों को वे पूरी तरह समझ नहीं पाये है. इस अध्ययन के निष्कर्ष ‘साइंस' जर्नल में प्रकाशित हुए हैं.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Samarth By Hyundai: दिव्यांगों के लिए कार्यस्थल में समान अधिकारों की पहल, मगर कहां है कमी?