केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत के बढ़ते महत्व पर जोर देते हुए चीन को लेकर एक सूक्ष्म संकेत दिया. पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अगले तीन से चार वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, यह कोई आसान काम नहीं है और लोकतंत्र बड़े मूल्य को सामने लाता है.
सैन फ्रांसिस्को में शुक्रवार को एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग बैठक के मौके पर NDTV के साथ एक खास इंटरव्यू में वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते चलन, टेस्ला के लिए कर रियायत की अटकलों के बारे में भी बात की. वे मानते हैं कि अगले 10 वर्षों में इस श्रेणी में विकास के मामले में देश दुनिया में अग्रणी होगा.
APEC का हिस्सा नहीं होने के बावजूद भारत को पहली बार इस शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है. गोयल ने आज अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात भी की.
गोयल से उनके पहले के बयान कि, अमेरिका के साथ भारत के संबंधों का 'चीन + 1' रणनीति से कोई लेना-देना नहीं है, के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मुझे पूरा विश्वास है कि भारत अपने पैरों पर खड़ा है. भारत निवेश के लिए आकर्षित करने वाला मामला है. यह विश्वास पर आधारित एक आकर्षक भागीदार है... भारत को अमेरिका, उसके नेताओं और अन्य देशों से जो सम्मान मिल रहा है, वह एक देश के रूप में भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाता है. मैंने देखा है कि जब भी नेताओं के बीच बात होती है तो वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारी प्रशंसा करते दिखाई देते हैं.”
क्या सरकार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और जो बाइडेन के बीच बैठक पर करीब से नजर रख रही है? इस सवाल पर गोयल ने कहा कि भारत दोनों देशों की भलाई की कामना करता है.
पीयूष गोयल ने कहा कि, "जैसा कि आप कहते हैं, हमारे पास उस बैठक को देखने का कोई कारण नहीं है. लेकिन इससे भी अहम बात यह है कि दुनिया भर में यह मान्यता है कि अधिक लचीली सप्लाई चेन होनी चाहिए. व्यवसाय हाल के अपने अनुभवों को लेकर चिंतित हैं. वे भी पारदर्शिता और अपारदर्शी बिजनेस प्रैक्टिस को लेकर बहुत चिंतित हैं. लोकतंत्र बड़ा मूल्य सामने लाता है.''
उन्होंने कहा कि, "उन सभी मामलों में, और जब आपके पास बिजनेस की लागत का एक ओवरले होगा, तो मुझे लगता है कि भारत सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण भागीदार होगा... हमारी क्षमताओं पर उनके विश्वास के लिए और अधिक. मेरी भारत में परिचालन करने वाली एक बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी से बातचीत हुई थी. मुझे बताया गया कि वे अब करीब एक भारतीय कंपनी की तरह हैं. उनके पास भारत में काम करने वाले 15,000 उच्च योग्यता वाले, उच्च वेतन वाले इंजीनियर हैं, जो अत्याधुनिक टेक्नालॉजी का काम करते हैं. उनके पास भारत में व्यवसाय बढ़ाने की आक्रामक योजनाएं हैं."
टेस्ला के इलेक्ट्रिक वाहनटेस्ला को लेकर एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार पहले पांच साल के लिए उसके असेंबल्ड इलेक्ट्रिक वाहनों पर पूरी तरह कर रियायत देने पर विचार कर रही है. इस बारे में सवाल पर मंत्री ने सीधे जवाब नहीं दिया. उन्होंने इसका जवाब देने की जगह देश में ऐसे वाहनों को अपनाने पर जोर दिया, और इसकी भविष्य की संभावनाओं के बारे में बात की.
गोयल ने कहा कि टेस्ला फैक्ट्री का उनका दौरा मुख्य रूप से टीम से मिलने के बारे में था. उसमें कई भारतीय हैं और उनकी सप्लाई चेन में इंडियन कम्पोनेंट को बढ़ाना है.
उन्होंने कहा कि, "मैं भारत से आयात को दोगुना करने की उनकी योजना से बेहद खुश हूं. और आगे बढ़ते हुए वे भारत में जानेमाने ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं के साथ बहुत आक्रामक योजनाओं पर विचार कर रहे हैं. कई अन्य चर्चाएं हैं जो हमेशा मेज पर रहती हैं, लेकिन मौजूदा बैठक इस बात पर केंद्रित थी कि हम उनकी स्पालई चेन में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने के लिए क्या कर सकते हैं."
साल 2021 में टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क के कर छूट के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि सरकार भारत में इलेक्ट्रिक वाहन इकोसिस्टम में और भी बहुत कुछ होते हुए देखना चाहेगी.
उन्होंने कहा कि, "हम बहुत तेजी से ईवी को अपना रहे हैं. अब बेचे जाने वाले लगभग 40 फीसदी दोपहिया वाहन इलेक्ट्रिक हैं. बस और कैब जैसे कामर्शियल वाहनों के लिए ईवी का उपयोग करने में कोई बाधा नहीं है क्योंकि वे अधिक किफायती और पर्यावरण-अनुकूल हैं... भारत में ईवी इकोसिस्टम तेजी से बढ़ने के लिए तैयार है. संभवत: अगले 10 साल में भारत में आप इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे तेज वृद्धि देखेंगे."
गोयल ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि दुनिया भर के निर्माता भारत आना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि देश में घरेलू विनिर्माण क्षमता भी अच्छी है.
कर कटौती पर उन्होंने कहा कि सरकार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, सभी प्लेयर्स से चर्चा करेगी और एक ठोस नीति लाएगी जो इकोसिस्टम को सपोर्ट करेगी.
गोयल ने कहा कि, "मेरा मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन बने रहेंगे. वे पर्यावरण के लिए अच्छे हैं और हमें जलवायु परिवर्तन से लड़ने और कच्चे तेल के आयात को कम करने में मददगार हैं... कल्पना कीजिए अगर हम देश में 100 अरब डॉलर के तेल आयात में कटौती करें.. हमारे पास हर साल ट्रेड सरप्लस होगा और भारत इतिहास में अद्वितीय विकास गाथा लिखेगा."