लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों लोगों ने मार्च निकाला. पूरा लद्दाख बंद रहा. लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस द्वारा संयुक्त रूप से यह विरोध प्रदर्शन किया गया.
हजारों लोगों, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, ने जमा देने वाले ठंड में लेह शहर में मार्च किया. उन्होंने नारे लगाते हुए लद्दाख को राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची को लागू करने और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग संसदीय सीटों की मांग की.
केंद्र ने घोषणा की है कि लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों के साथ दूसरे दौर की वार्ता आयोजित की जाएगी. लेकिन इसके बावजूद बंद आयोजित किया गया. केंद्र ने पहले ही लद्दाख के लोगों की मांगों पर विचार करने के लिए राज्य मंत्री (गृह मामले) नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.
लद्दाख के लोगों ने कहा कि वे केंद्र शासित प्रदेश में नौकरशाहों के एक अंतहीन शासन के तहत नहीं रह सकते हैं और केवल पूर्ण राज्य का दर्जा चाहते हैं, जिसमें वे शासन के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुन सकें.
दिसंबर में केंद्र ने लद्दाख में अपनी पहली बैठक की थी और लेह और कारगिल के दोनों निकायों से अपनी मांगें पेश करने के लिए कहा था.
आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद अगस्त 2019 में तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया था. लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था.