दिल्ली:  हनुमान मंदिर के सेवादार यूसुफ नफरत के दौर में भाईचारे की मिसाल बनकर सामने आए

तीस हजारी कोर्ट में हनुमान मंदिर के सेवादार यूसुफ (Yousuf) भाईचारे की मिसाल बनकर सामने आये है. यूसूफ मंदिर बनवाने के ठेकेदार है और उन्होने मंदिर बनाने में अपनी दिहाड़ी तक नहीं ली.

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दिल्ली के ही तीस हजारी कोर्ट में हनुमान मंदिर के सेवादार यूसुफ (Yousuf) भाईचारे की मिसाल बनकर सामने आये है.

नई दिल्ली:

लाउडस्पीकर से लेकर जूलूस तक जिस तरह से हिन्दू- मुस्लिम (Hindu Muslim) के बीच नफरत पैदा करने की कोशिश की जा रही है. राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुए दंगे उसी का नतीजा है. जहां जहांगीर पुरी हिंसा की आड़ में हिन्दू मुस्लिम के बीच नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है. वहीं दिल्ली के ही तीस हजारी कोर्ट में हनुमान मंदिर के सेवादार यूसुफ (Yousuf) भाईचारे की मिसाल बनकर सामने आये है. यूसुफ मंदिर बनवाने के ठेकेदार है और उन्होने मंदिर बनाने में अपनी दिहाड़ी तक नहीं ली. मंदिर की एक एक चीज चुनाई पुताई वेल्डिंग का काम सब यूसूफ ने ही किया है.आठवीं पास यूसूफ बीते 10 साल से हनुमान मंदिर के सेवादार हैं. यूसूफ बिहार के सुपौल के रहने वाले हैं. 

NDTV से हुई बातचीत में  यूसूफ ने बताया कि वो मंदिर के ठेकेदार है. उन्होने मंदिर बनाने में सहयोग किया है और एक पैसे कि मजदूरी भी नही ली है. उन्होने बताया कि वो मंदिर की देखभाल कर रहें है और उसकी  साफ सफाई को इंतेजाम भी वही करते है.  उन्होने बताया कुछ लोगों ने उनके मुस्लमान होते हुए मंदिर की देखभाल करने पर  आब्जेक्शन भी किया था. बता दें यूसुफ वहां उस मंदिर की चाभी रखते है. उनका कहना है  मंदिर और मस्जिद में कोई फर्क नहीं है.नाही हिन्दू मुसलमान में कोई फर्क है. बस लोग इश्यू बना देते हैं. हिन्दू मुसलमान करके कोई फायदा नहीं है बस नुकसान ही है. 

कोर्ट के वकील का कहना है कि जब हनुमान जी को यूसुफ से कोई एतराज नहीं है लोगों को क्या होगी?  तीस हजारी कोर्ट के अधिवक्ता यशपाल सिंह का कहना है कि यहां मुस्लिम भाई भी है हमें कभी नहीं लगा खासतौर पर यूसुफ भाई की बात करें तो वो ठेकेदार है. मंदिर का जीर्णोद्वार यूसूफ ने किया. मंदिर बनाने में यूसूफ ने अपनी दिहाड़ी नहीं ली मंदिर का एक एक चीज चुनाई पुताई वेल्डिंग का काम सब यूसुफ ने किया. यहां तक की हनुमान जी की मूर्ति स्थापना भी यूसूफ के हाथ से हुई. जब हनुमान जी को यूसूफ भाई से कोई ऐतराज नहीं है तो हमें क्या हो सकता है. धर्म के नाम पर नफरत की दुकान सजाने वालों को तीस हजारी के हनुमान मंदिर में जरुर सीख लेने की जरुरत है.  

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