परोल पर निकला रेप का आरोपी 33 सालों से चल रहा था फरार, अब हुई गिरफ्तारी; जानिए कैसे देता रहा पुलिस को चकमा

हाथरस के पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने बताया कि 1987 में दुष्‍कर्म का दोषी ठहराया गया रघुनंदन सिंह तीन दशक से अधिक समय से अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में रह रहा था. वह पिछले 33 वर्ष से फरार था.

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बलात्कार के दोषी को परोल मिलने पर फरार होने के 33 साल बाद गिरफ्तार किया गया है. (प्रतीकात्‍मक)
नोएडा:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हाथरस जिले के बलात्कार के एक दोषी (Rape Convict) को परोल मिलने पर फरार होने के 33 वर्ष बाद दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने मंगलवार को बताया कि दोषी दिल्ली में नकली पहचान पर रह रहा था. उन्होंने कहा कि हाथरस रघुनंदन सिंह (56) के पैतृक गांव रिश्तेदार यह जानकर हैरान रह गए कि वह “जीवित” था क्योंकि वे और साथी ग्रामीणों यही मान रहे थे कि वह मर चुका है. हाथरस के पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि 1987 में दोषी ठहराया गया सिंह तीन दशक से अधिक समय से अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में रह रहा था और शहर में कपड़े की एक दुकान में काम कर रहा था. 

जायसवाल ने कहा, “उसे बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराया गया था लेकिन सजा काटते हुए परोल दी गई थी. वह परोल पर जेल से बाहर आने के बाद गायब हो गया और पिछले 33 वर्ष से फरार था. उसे अब गिरफ्तार कर लिया गया है.”

अधिकारी ने बताया कि उसके खिलाफ 1986 में जिले के हाथरस जंक्शन पुलिस थाने में बलात्कार के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अगले साल, एक स्थानीय अदालत ने उसे अपराध का दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. उन्होंने कहा कि 1989 में उस व्यक्ति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की जिसके बाद उसे परोल पर रिहा कर दिया गया. 

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जायसवाल ने कहा, “लेकिन बाहर निकलने के बाद उसने गांव में अपनी सारी चल-अचल संपत्ति बेच दी और फरार हो गया. वह फिर एक नई जाली पहचान के तहत दिल्ली चला गया और शादी कर घर बसा लिया.” जायसवाल ने कहा कि वह तीन दशक से अधिक समय से दिल्ली के बुराड़ी इलाके में रह रहा था और उच्च न्यायालय ने भी उसकी गिरफ्तारी के आदेश जारी किए थे. 

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वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “मैंने उसकी गिरफ्तारी पर 25,000 रुपये के इनाम की घोषणा की थी और सिकंदरा राव इलाके के क्षेत्राधिकारी के नेतृत्व में कई टीमों का गठन किया था.” 

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उन्होंने कहा कि विशेष अभियान समूह को भी शामिल किया गया और बुराड़ी के संत नगर से पकड़े गए आरोपी का पता लगाने के लिए तकनीकी निगरानी की मदद ली गई. अधिकारियों के अनुसार, सिंह के पैतृक गांव के निवासियों और रिश्तेदारों का मानना था कि उसकी मृत्यु हो गई थी क्योंकि 1989 में उसके गायब होने के बाद उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

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अधिकारियों ने कहा कि अदालत के आदेशों के अनुपालन में स्थानीय पुलिस द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई के दौरान, अधिकारियों को ग्राम प्रधानों द्वारा सूचित किया गया कि सिंह की मृत्यु हो गई है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी की खबर ने ग्रामीणों और उनके रिश्तेदारों को चौंका दिया है. पुलिस ने बताया कि हाथरस जंक्शन थाना के अधिकारी मामले में कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं. 

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