दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में शुल्क बढ़ोतरी का मुद्दा गर्म होता जा रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने दावा किया है कि विश्वविद्यालय द्वारा अपने अंग्रेजी पीएचडी कार्यक्रम के लिए शुल्क में 1,200 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. उन्होंने दावा किया कि अंग्रेजी विभाग ने शुल्क ₹ 1,932 से बढ़ाकर ₹ 23,968 कर दिया है जबकि अन्य सभी विभागों ने अपने पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए ₹ 4,400 का शुल्क लागू किया है.
यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की और चिंता व्यक्त की कि इससे छात्रों की गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा तक पहुंच बाधित हो सकती है. अपने आधिकारिक बयान में, एसएफआई ने फीस वृद्धि को सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों पर हमला बताया है. जो अवसरों को सीमित करता है और छात्रों और उनके परिवारों पर भारी वित्तीय बोझ डालता है.
छात्र संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन ने शुल्क भुगतान के लिए एक दिन की सख्त समय सीमा लगा दी है. विश्वविद्यालय संकाय और एसएफआई दोनों ने शुल्क वृद्धि को वापस लेने की मांग की है. मिरांडा हाउस में भौतिकी की सहायक प्रोफेसर आभा देव हबीब ने एक फेसबुक पोस्ट में फीस वृद्धि पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज करवायी है. उन्होंने लिखा है कि 1,200 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी अस्वीकार्य और दुर्भाग्यपूर्ण है. इस तरह की मुद्रास्फीति को कोई भी नहीं समझा सकता है. शुल्क वृद्धि से विविधता कम हो जाएगी और छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
उन्होंने आगे लिखा कि छात्रवृत्ति और रियायतें सभी के लिए सस्ती फीस का विकल्प नहीं हो सकती हैं. इस भारी शुल्क वृद्धि को तुरंत वापस लेने की जरूरत है. शिक्षा तक पहुंच और विविधता पर इस तरह का हमला भारत के संविधान के खिलाफ है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है.