दिल्ली दंगे में पहली बार कोई आरोपी दोषी करार, आगजनी- तोड़फोड़ के आरोप में मिलेगी सजा

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि दिनेश यादव 25 फरवरी की रात मनोरी नाम की एक 73 वर्षीय महिला के घर दंगाइयों और आगजनी करने वाली भीड़ का सक्रिय सदस्य था. दिल्ली पुलिस ने दिनेश यादव को 8 जून 2020 को गिरफ्तार किया था.

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दिल्ली दंगे में दिल्ली पुलिस ने 750 से ज्यादा केस दर्ज किए (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए पिछले साल हुए दिल्ली दंगे (Delhi Riots) के एक मामले में आरोपियों को दोषी ठहराया गया है. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान एक महिला के घर में आग लगाने वाले एक शख्स को गैरकानूनी भीड़ में शामिल होने के लिए सोमवार को दोषी ठहराया. यह दिल्ली दंगा केस में किसी को दोषी ठहराए जाने का पहला केस है. यह आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने सुनाया. कोर्ट ने दिनेश यादव को अवैध रूप से जमा होने, दंगा करने, आगजनी करने, डकैती और घर में घुसने के आरोप में दोषी करार दिया. सजा पर ऐलान 22 दिसम्बर को होगा

दिल्ली के गोकलपुरी के भागीरथी विहार में 70 साल की मनोरी के घर में लूटपाट कर आग लगाने के आरोप में कड़कड़डूमा कोर्ट ने इसी इलाके में रहने वाले दिनेश यादव को दोषी करार दिया है. ये पहला मामला है जब उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हुए भयानक दंगों में कोई दोषी करार दिया गया है. वो 25 दिसम्बर 2020 का दिन था जब मनोरी के घर में लूटपाट के बाद आग लगा दी गई. दंगाई उनके मवेशी तक ले गए. 70 साल की मनोरी छत से कूदी और उन्होंने एक हिन्दू परिवार के घर छिपकर जान बचाई. फिर पुलिसवालों ने परिवार को बचाया. परिवार दो हफ़्ते दिल्ली से बाहर रहा.

मनोरी कहती हैं, 'हम तो सब छोड़ कर शाम को 7 बजे फरार हो गए. बस जान बची और हमारे पास कुछ भी नहीं रहा, सब खत्म. चौथे दिन जब पुलिस वाले हमें लेकर आये तो आटा तक नहीं था घर में.'

मनोरी का नाती ने कहा, 'गेटों में डंडे सब्बल बजाने लगे तोड़ने के लिए, घरवाले तो सेफ हो गए थे दूसरों के घर में, उन्हें भी परेशान करने लगे. कहने लगे तुमने गद्दारी की है, मुसलमानों को छिपाया है.

इस मामले में कोर्ट ने 2 पुलिसकर्मियों के बयान को अहम माना. उन्होंने बताया कि दिनेश उस भीड़ का हिस्सा था जो हिंसा पर उतारू थी. हालांकि उन्होंने दिनेश को मनोरी का घर जलाते हुए नहीं देखा. लेकिन कोर्ट ने कहा कि अगर कोई गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा है तो वो बाकी दंगाइयों की तरह हिंसा के लिए उतना ही जिम्मेदार है.

अभिजोजन पक्ष के वकील आरसीएस भदौरिया के मुताबिक पीड़ित परिवार को इंसाफ मिला है, उन्होंने जांच एजेंसी के हर तथ्य को अदालत में मजबूती से रखा. दंगा पीड़ित मनोरी के परिवार ने किसी तरह ये घर बनाया, उनकी बेटी अब भी सदमे में है.

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इससे पहले अदालत दंगों से जुड़े एक और मामले में फैसला सुना चुकी है, हालांकि उसमें आरोपी बरी कर दिए गए थे.

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