ED ने मांगा वक्त, सिंघवी ने जताई आपत्ति, जानें मनीष सिसोदिया की जमानत पर SC में क्या हुआ

सुप्रीम कोर्ट में मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई जारी है.  ED ने सिसोदिया की याचिका का विरोध किया. उनकी ओर से कहा गया कि एक ही मामले में दो याचिकाएं दाखिल नहीं की जा सकती.

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मनीष सिसोदिया की जमानत पर 5 अगस्त को होगी सुनवाई

दिल्ली शराब घोटाला मामले में आरोपी दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सिसोदिया के वकील ने अदालत को बताया था कि पिछले 16 महीनो से जेल में बंद है और ट्रायल उसी स्टेज में है, जो अक्टूबर 2023 में था. पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कुमार ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत की सुनवाई के लिए जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सजंय करोल और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच के पास मामले को लिस्ट कर दिया था.

ईडी ने सिसोदिया की जमानत का किया विरोध

 ED ने सिसोदिया की याचिका का विरोध किया. एक ही मामले में दो याचिकाएं दाखिल नहीं की जा सकती. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि इस आदेश में गुण-दोष के आधार पर फैसला कहां है? ED ने कहा कि आरोप-पत्र अब दाखिल हो चुका है. जस्टिस गवई ने कहा कि इस अदालत द्वारा अक्टूबर में निर्धारित 6-8 महीने की अवधि समाप्त हो चुकी है.

5 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

ASG राजू ने कहा कि हमारा जवाब तैयार है, लेकिन उसमें कुछ प्रारंभिक आपत्तियां हैं. उसे सुधार करना है.  सिसोदिया की सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दूसरी याचिका है. उसी आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती. सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ASG के जवाब आपत्ति जताई कहा कि इनका जवाब चौकाने वाला है. ED ने कहा कि हम गुरुवार (1 अगस्त) तक जवाब दाखिल कर देंगे. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब 5 अगस्त को सुनवाई  करेगा.

गौरतलब है कि दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को ‘घोटाले' में उनकी कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. CBI और ED का आरोप है कि दिल्ली आबकारी नीति में सुधार करते वक्त अनियमितताएं हुईं. लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ कर दिया गया या कम कर दिया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना लाइसेंस दिए गए.

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