शराब नीति केस: चार्जशीट और FIR में नाम नहीं, फिर भी CM केजरीवाल से क्यों पूछताछ करना चाहती है CBI?

शराब नीति केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने समन भेजा है. एजेंसी ने उन्हें 16 अप्रैल को सुबह 11 बजे CBI दफ्तर बुलाया है.

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शराब नीति केस में मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच कर रही ईडी के रिमांड नोट में केजरीवाल का नाम है.

नई दिल्ली:

दिल्ली के आबकारी (शराब) नीति केस की जांच अब सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) तक पहुंच गई है. सीबीआई ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन भेजा है. उन्हें 16 अप्रैल को सुबह 11 बजे CBI दफ्तर बुलाया गया है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस केस में सीबीआई की चार्जशीट (CBI Chargesheet) और एफआईआर में अरविंद केजरीवाल का नाम नहीं है. इसी केस की मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच कर रही ईडी के रिमांड नोट में केजरीवाल का नाम तो है, लेकिन आरोपी के तौर पर नहीं. ऐसे में सवाल ये है कि चार्जशीट में नाम नहीं होने के बाद भी सीबीआई आखिर क्यों केजरीवाल से पूछताछ करना चाहती है?

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया इसी मामले में ED की हिरासत में हैं. उन्हें 26 फरवरी को सीबीआई ने 8 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. फिलहाल मनीष सिसोदिया ED की कस्टडी में हैं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सिसोदिया की कस्टडी 17 अप्रैल तक बढ़ा दी थी. सिसोदिया की जमानत पर कोर्ट 18 अप्रैल को सुनवाई करेगी.

केजरीवाल से सीबीआई क्यों करना चाहती है पूछताछ?
आबकारी नीति केस में अरविंद केजरीवाल का नाम आरोपी के तौर पर न तो किसी एफआईआर में है और न ही किसी चार्जशीट में लेकिन, सीबीआई और ईडी की रिमांड नोट में केजरीवाल के नाम का जिक्र है. दरअसल, सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के आबकारी विभाग में सचिव सी. अरविंद और आबकारी आयुक्त ए. गोपी कृष्ण से आमना-सामना कराया था. ये तब हुआ, जब सिसोदिया सीबीआई की रिमांड पर थे.

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आबकारी विभाग के सचिव ने लिया केजरीवाल का नाम
आबकारी विभाग में सचिव सी. अरविंद का बयान पहले मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किया गया था. जिसमें उन्होंने खुलासा किया था कि मनीष सिसोदिया आबकारी पॉलिसी को लेकर सीधे निर्देश दे रहे थे. सी. अरविंद ने ED और CBI के सामने अपने बयानों में खुलासा किया कि मार्च 2021 में अरविंद केजरीवाल के आवास पर शराब कारोबारियों का लाभ मार्जिन 12% तय करने का फरमान लिया गया था.

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मौखिक आदेश को ड्राफ्ट पॉलिसी में शामिल करने का था फरमान
ये मौखिक आदेश था, जिसे ड्राफ्ट पॉलिसी में शामिल करने के लिए कहा गया था. ये सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की उपस्थिति में हुआ था. समीर महेंद्रू ने जांच एजेंसी को बताया था कि विजय नायर के फोन से केजरीवाल ने फेस टाइम पर वीडियो कॉल कर उन्हें कहा था कि विजय नायर उनका बच्चा है. उन पर वो भरोसा करें. महेंद्रू का दावा है कि इस मामले में करोड़ों रुपये केजरीवाल के आदेश पर दिए गए थे, जिसे गोवा चुनाव में खर्च किया गया था.

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YSRCP सांसद ने की थी केजरीवाल से मुलाकात
जांच एजेंसी के मुताबिक, YSRCP सांसद मगुनता श्रीनिवासुलु रेड्डी (Magunta Srinivasulu Reddy) दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मिले थे. केजरीवाल ने उनका दिल्ली में शराब के कारोबार में शामिल होने के लिए स्वागत किया था. इसके अलावा कई नेता पर्दे के पीछे रहकर आबकारी घोटाले में शामिल थे. जिसमें साउथ की 'लिकर लॉबी' की अहम भूमिका है.

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17 नवंबर 2022 को दी गई थी नई शराब नीति को मंजूरी
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पिछले साल 17 नवंबर को नई शराब नीति को मंजूरी दी. इसके तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया. नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था. हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं. इन दुकानों का मालिकाना हक जोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया था. हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई.

लाइसेंस के नियम भी बनाए आसान
सरकार ने लाइसेंस धारकों के लिए नियमों को भी आसान बनाया. इसके तहत उन्हें शराब पर डिस्काउंट देने और MRP पर बेचने के बजाय खुद कीमत तय करने की छूट दी. वेंडर्स को डिस्काउंट देने का फायदा भी हुआ. हालांकि, विपक्ष के विरोध के बाद आबकारी विभाग ने कुछ समय के लिए छूट वापस ले ली गई.

सिसोदिया और आप पर क्या है आरोप?
उपराज्यपाल और दिल्ली के सीएम को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना शराब नीति में बदलाव किया. सरकार ने कोरोना महामारी के नाम पर 144.36 करोड़ रुपये की टेंडर लाइसेंस फीस माफ कर दी. आरोप है कि इससे शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचा. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इससे मिले कमीशन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया.

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