दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उनकी सरकार पर ‘‘11 वर्षों की उपेक्षा और आपराधिक निष्क्रियता'' का आरोप लगाया और राजधानी में वायु प्रदूषण की स्थिति के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया. इन आरोपों पर अब आम आदमी पार्टी (आप) ने पलटवार किया है.
आम आदमी पार्टी के नेता अनुराग ढांडा ने दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जब राजधानी प्रदूषण की गंभीर मार झेल रही है, तब एलजी साहब इसे छोड़कर गुजरात चले गए. ढांडा ने तंज कसते हुए कहा, "दिल्ली का प्रदूषण लोगों के फेफड़ों पर असर कर रहा है, लेकिन लगता है एलजी साहब के दिमाग पर इसका असर हो गया है. उनकी याददाश्त इतनी कमजोर हो गई है कि उन्हें यह भी याद नहीं रहा कि अब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल नहीं, बल्कि 'रेखा गुप्ता' मुख्यमंत्री है."
वी के सक्सेना ने केजरीवाल को लिखा 15 पन्नों का खत
इससे पहले सक्सेना ने 15 पन्नों के अपने पत्र में, आम आदमी पार्टी के प्रमुख पर आरोप लगाया कि उन्होंने ‘‘तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए 10 महीने की भाजपा सरकार के समक्ष अनावश्यक रूप से जटिलताएं पैदा कर दी हैं, जो उनके द्वारा की गई गलतियों को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.'' उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में करारी हार के बावजूद, केजरीवाल और उनकी पार्टी ने नतीजों से सबक नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ‘‘दिल्ली की जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर तुच्छ राजनीति करने और झूठ फैलाने में लगी हुई है.''
एलजी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की राजनीति सिर्फ नकारात्मकता और तथ्यहीन प्रोपेगेंडा पर आधारित है. उन्होंने केजरीवाल को लिखे पत्र में 56 बिंदुओं को रखा. इसमें उन्होंने प्रदूषण के मुद्दे को केजरीवाल की बड़ी बेपरवाही बताया. उपराज्यपाल ने अरविंद केजरीवाल के साथ अपनी बातचीत का भी खुलासा किया.
दिल्ली एलजी ने केजरीवाल के साथ अपनी बातचीत का किया खुलासा
उन्होंने पत्र में लिखा, "मैं मेरे और आपके (अरविंद केजरीवाल) बीच नवंबर-दिसंबर 2022 में हुई चर्चा की तरफ आकर्षित करना चाहूंगा. गंभीर वायु प्रदूषण के बीच मैंने हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था. पंजाब के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र की प्रति आपको भी भेजी थी. जब मैंने आपसे इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए इसके समाधान के लिए निर्णायक कदम उठाने को कहा, तो आपने मुझसे कहा था, 'सर, यह हर साल होता है, 15-20 दिन मीडिया इसको उठाती है. एक्टिविस्ट और अदालतें इसका मुद्दा बनाते हैं और फिर सब भूल जाते हैं. आप भी इस पर ज्यादा ध्यान मत दीजिए.' अब इससे अधिक दोहरा रवैया क्या होगा?"














