दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भारतीय जनता पार्टी के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है. केंद्र सरकार द्वारा सीएम केजरीवाल को सिंगापुर न जाने देने की अनुमति से शुरू हुआ विवाद दिल्ली में उपराज्यपाल के दफ्तर तक पहुंच गया है. कुछ दिन पहले ही दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसमें वो सिंगापुर जाने की अनुमति मांग रहे थे. दिल्ली सरकार और उपराज्पाल के बीच चल रहा विवाद अब नया रूप लेता भी दिख रहा है. दरअसल, अब उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 में नियमों के उल्लंघन व प्रक्रियागत खामियों को लेकर इसकी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने की सिफारिश की है. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव की इस महीने की शुरुआत में सौंपी गयी रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गयी है. इस रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991, व्यापारिक लेनदेन की नियमावली-1993, दिल्ली आबकारी अधिनियम, 2009 और दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के उल्लंघनों का पता चलता है.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा रिपोर्ट में ‘‘शराब के ठेकों के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ'' देने के लिए ‘‘जानबूझकर और घोर प्रक्रियागत खामियां करने'' का भी जिक्र है.
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नयी आबकारी नीति 2021-22 पिछले साल 17 नवंबर से लागू की गयी थी, जिसके तहत 32 मंडलों में विभाजित शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को रिटेल लाइसेंस दिए गए. कई शराब की दुकानें खुल नहीं पायी. ऐसे कई ठेके नगर निगम ने सील कर दिए.
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इस नीति का पुरजोर विरोध किया था और इसकी जांच के लिए उपराज्यपाल के साथ केंद्रीय एजेंसियों में शिकायत दर्ज करायी थी.
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