दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के लिए काम करने वाले ठेकेदारों के एक वर्ग ने इस साल फरवरी से बकाये का भुगतान नहीं किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे जारी परियोजनाओं को 27 नवंबर से बंद कर देंगे. डीजेबी के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने दावा किया कि वित्त मंत्री के बार-बार निर्देश देने के बावजूद वित्त विभाग ने पिछले तीन महीनों से धन जारी नहीं किया और वह उपराज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग करेंगे. दिल्ली जल बोर्ड कॉंट्रेक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने अतिरिक्त मुख्य अभियंता को पत्र लिखकर कहा कि बकाया भुगतान नहीं किये जाने पर कर्मचारी वर्तमान में जारी सभी काम बंद कर देंगे.
फरवरी, 2023 से लंबित बकाया का भुगतान न होने पर 23 नवंबर को एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया. इससे पहले, दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने दावा किया था कि वित्त विभाग द्वारा दिल्ली जल बोर्ड को निधि रोके जाने के कारण शहर ‘मानव जनित जल संकट' का सामना कर रहा है और उन्होंने इस मामले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मंत्री ने उपराज्यपाल को लिखे अपने पत्र में आरोप लगाया कि मुख्य सचिव की सलाह पर वित्त सचिव आशीष सी वर्मा ने अगस्त से डीजेबी के लिए राशि जारी करने पर रोक लगा दी है. उन्होंने वर्मा के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई करने की मांग की.इस बीच, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केंद्रीय जांच एजेंसियों और उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को पत्र लिखकर डीजेबी द्वारा संचालित सीवेज उपचार संयंत्रों को अपग्रेड करने के लिए निविदा प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग की है. पार्टी की ओर से रविवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई है.
बयान में भाजपा नेता ने इस मामले में करीब 500 करोड़ रुपये के 'घोटाले' का आरोप लगाया है. दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि भाजपा हर दिन एक नए घोटाले का आरोप लगाती है, लेकिन सभी शक्तियां होने के बावजूद किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती.‘आप' ने एक बयान में कहा, “यह एक राजनीतिक नाटक के अलावा और कुछ नहीं है.”
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)