दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में मांग की गई है कि कथित तौर पर चिकित्सीय लापरवाही के कारण जान गंवाने वाले कोविड-19 से पीड़ित एक व्यक्ति की पत्नी तथा माता-पिता को मुआवजा दिया जाए.याचिका पर अदालत ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) तथा दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. जस्टिस विपिन सांघी तथा जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने इस याचिका पर दिल्ली सरकार के राव तुला राम अस्पताल से भी जवाब मांगा है.याचिका में दावा किया गया है कि पीड़ित की हालत नाजुक थी तथा उसका ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो गया था, इसके बावजूद अस्पताल के डॉक्टर ने अस्पताल में भर्ती करवाने की सिफारिश नहीं की और उनकी लापरवाही के कारण ही एम्बुलेंस का इंतजार करने के दौरान व्यक्ति की मौत हो गई. उसके परिवार ने अधिकारियों की आपराधिक लापरवाही तथा कुप्रबंधन की वजह से अपने प्रियजन की जान जाने पर उचित मुआवजा देने की मांग की है.
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बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के मद्देनजर एनडीएमए को याचिका में पक्षकार बनाया, जिसमें कहा गया था कि प्राधिकरण ने कोविड महामारी के कारण मरने वाले लोगों के परिजनों के लिए मुआवजे के रूप में न्यूनतम अनुग्रह राशि निश्चित की है.इसके बाद अदालत ने इस विषय पर दिल्ली सरकार, अस्पताल और एनडीएमए को जवाबी हलफनामे जमा करवाने का निर्देश दिया और कहा कि अब मामले पर सुनवाई जुलाई में की जाएगी.दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अदालत को मुआवजे के मुद्दे पर शीर्ष अदालत के आदेश के बारे में सूचित किया और कहा कि कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों के परिवारों को राज्य सरकार 50,000 रूपये की अनुग्रह राशि देने पर विचार कर रही है और इस प्रस्ताव को अगले हफ्ते कैबिनेट के सामने रखा जाएगा.
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गौरतलब है कि अदालत नवीन नाम के व्यक्ति की पत्नी और माता-पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कोविड-19 से पीड़ित नवीन की 26-27 अप्रैल की दरम्यानी रात को कथित चिकित्सीय लापरवाही के कारण मौत हो गई थी. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राव तुलाराम अस्पताल में नवीन का ऑक्सीजन स्तर 60 फीसदी मापा गया था, उसके बावजूद उसे उपचार नहीं दिया गया. परिजनों को कहा गया कि वे मरीज को वहां से ले जाएं. हालांकि, अन्य अस्पताल ले जाने के लिए अनेक प्रयास करने के बावजूद वाहन की व्यवस्था नहीं हो पाई तथा मरीज की मौत हो गई थी.