दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित शराब घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज किए गए धनशोधन और भ्रष्टाचार के मामलों में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं. न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि सिसोदिया कथित तौर पर इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य सहित महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने में शामिल थे. उच्च न्यायालय ने कहा कि सिसोदिया दिल्ली सरकार के सत्ता गलियारे में एक बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति हैं क्योंकि उनके पास 18 विभाग थे.
इसने कहा, ‘‘यह मामला आवेदक द्वारा सत्ता का गंभीर दुरुपयोग और सार्वजनिक विश्वास का उल्लंघन किए जाने का है, जो दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थे.'' अदालत ने आदेश सुनाते हुए कहा कि आबकारी विभाग सहित 18 विभागों वाले मंत्री के रूप में सिसोदिया को दिल्ली के लिए एक नयी शराब नीति तैयार करने का काम सौंपा गया था. इसने कहा कि हालांकि जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि प्रथम दृष्टया सिसोदिया ने अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप सार्वजनिक प्रतिक्रिया गढ़कर आबकारी नीति बनाने की प्रक्रिया में गड़बडी की.
सिसोदिया के अंतरिम राहत के आवेदन पर अदालत ने कहा कि उन्हें अधीनस्थ अदालत द्वारा तय किए गए समान नियमों और शर्तों पर हर हफ्ते हिरासत में अपनी बीमार पत्नी से मिलने की अनुमति दी जाएगी. उच्च न्यायालय ने 14 मई को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता, सीबीआई और ईडी की दलीलें सुनने के बाद याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सिसोदिया ने अधीनस्थ अदालत के 30 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं.
अधीनस्थ अदालत ने अब समाप्त की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और इसके कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के संबंध में क्रमशः सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज किए गए भ्रष्टाचार तथा धनशोधन मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं. इस बीच, विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने मंगलवार को कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 31 मई तक बढ़ा दी.
सिसोदिया को शराब 'घोटाले' में उनकी कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. ईडी ने उन्हें नौ मार्च, 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया था. उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा कि उसकी राय है कि सिसोदिया जमानत के लिए कोई मामला नहीं बना पाए हैं. इसने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रथम दृष्टया धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत सिसोदिया के खिलाफ धनशोधन का मामला बनाया है. अदालत ने कहा कि दिल्ली के आम नागरिकों की वास्तविक राय लेने के बजाय, सिसोदिया के अपने हित से जुड़े विशिष्ट सुझावों वाले पहले से तैयार ईमेल आबकारी विभाग के निर्दिष्ट फीडबैक ईमेल पते पर भेजे गए थे.
इसने कहा, “ये ईमेल सार्वजनिक प्रतिक्रिया या राय की आड़ में ऐसे व्यक्तियों द्वारा भेजे गए थे जिन्हें स्वयं आवेदक मनीष सिसोदिया ने ऐसा करने का निर्देश दिया था.'' न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, 'लेकिन वास्तव में, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट की अवहेलना करते हुए आवेदक के आबकारी नीति बनाने के फैसले को सही ठहराने के लिए फीडबैक तैयार किया गया था.' उच्च न्यायालय ने कहा कि उसकी यह भी राय है कि अभियुक्तों को दस्तावेज उपलब्ध कराने में अभियोजन पक्ष की ओर से कोई देरी नहीं हुई है और इसी तरह, मध्यस्थ अदालत की ओर से भी कोई देरी नहीं हुई है.
सिसोदिया के लिए जमानत की मांग करते हुए उनके वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष कहा था कि ईडी और सीबीआई अभी भी धनशोधन और भ्रष्टाचार मामले में लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं तथा मुकदमे के जल्द समाप्त होने का कोई सवाल ही नहीं है. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नयी आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया था.
ये भी पढ़ें-:
"आरोपी को बचाने के लिए सड़कों पर उतर रही है AAP, मनीष सिसोदिया होते तो..." : स्वाति मालीवाल