अब बिना इजाजत अभिषेक बच्चन का नाम-फोटो इस्तेमाल करना होगा जुर्म, हाईकोर्ट का फैसला जान लीजिए

अदालत ने कहा कि बच्चन को भ्रामक, अपमानजनक या अनुचित परिस्थितियों में चित्रित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इस तरह का दुरुपयोग ऑनलाइन सामग्री के आसानी से प्रसारित होने से और भी बढ़ जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिषेक बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों के अनधिकृत उपयोग पर रोक लगाने का आदेश दिया है.
  • कोर्ट ने कहा अभिषेक बच्चन के नाम, चित्र और हस्ताक्षर का बिना अनुमति व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल अनुचित है.
  • गूगल और केंद्रीय मंत्रालयों को संबंधित यूआरएल को हटाने और ब्लॉक करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिनेता अभिषेक बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करते हुए ऑनलाइन मंचों पर व्यावसायिक लाभ के लिए उनके नाम या तस्वीरों का बिना उनकी सहमति के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी वेबसाइट्स और मंच कृत्रिम मेधा जैसी तकनीक से बच्चन के व्यक्तित्व की विशेषताओं, जिनमें उनका नाम, चित्र और हस्ताक्षर शामिल हैं, उसका इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना कर रहे हैं.

न्यायमूर्ति तेजस करिया ने 10 सितंबर को पारित आदेश में कहा, ‘‘ये विशेषताएं वादी के पेशेवर कार्य और उसके करियर से जुड़ी हैं. ऐसी विशेषताओं के अनधिकृत उपयोग से उनकी साख और प्रतिष्ठा पर असर पड़ता है.''

उच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चन ने एक पक्षीय आदेश प्राप्त करने के लिए प्रथम दृष्टया एक मजबूत मामला स्थापित किया है और सुविधा का संतुलन भी उनके पक्ष में है.

आदेश में कहा गया, ‘‘सुविधा का संतुलन वादी के पक्ष में है और यदि वर्तमान मामले में व्यादेश (इनजंक्शन) नहीं दिया जाता है, तो इससे वादी और उनके परिवार को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि गरिमा के साथ जीवन जीने के उनके अधिकार के संबंध में भी अपूरणीय क्षति या हानि होगी.''

‘सुविधा का संतुलन' एक कानूनी सिद्धांत है, जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि किसी मामले में अंतरिम राहत, जैसे कि व्यादेश या स्थगन दिया जाना चाहिए या नहीं. इस सिद्धांत के तहत अदालत यह देखती है कि अंतरिम आदेश (जैसे स्टे) देने या न देने से किस पक्ष को ज़्यादा हानि या कम असुविधा होगी. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि किसी पक्ष को अनुचित या अत्यधिक नुकसान न हो.

अदालत ने यह अंतरिम आदेश बच्चन की याचिका पर पारित किया, जिसमें उन्होंने अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करने और ऑनलाइन मंचों को उनके नाम, तस्वीरों और एआई-जनित अश्लील सामग्री का अवैध रूप से इस्तेमाल करने से रोकने का अनुरोध किया था.

उच्च न्यायालय ने बॉलीवुड अभिनेत्री एवं अभिषेक बच्चन की पत्नी ऐश्वर्या राय बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों की भी रक्षा करते हुए नौ सितंबर को ऑनलाइन मंचों पर उनके नाम, तस्वीर का व्यावसायिक लाभ के लिए अवैध रूप से इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी.

अदालत ने कहा कि बच्चन को भ्रामक, अपमानजनक या अनुचित परिस्थितियों में चित्रित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इस तरह का दुरुपयोग ऑनलाइन सामग्री के आसानी से प्रसारित होने से और भी बढ़ जाता है.

Advertisement

उसने गूगल को निर्देश दिया कि वह आवेदन में दिए गए यूआरएल को हटा दे या निष्क्रिय कर दे, तथा वस्तुओं के मालिकों या ऑपरेटरों और विक्रेताओं की सभी ‘मूलभूत ग्राहक जानकारी' को एक सीलबंद लिफाफे या पासवर्ड से सुरक्षित दस्तावेज में दर्ज करे.

अदालत ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा दूरसंचार विभाग को याचिका में उल्लिखित सभी यूआरएल को ब्लॉक और निष्क्रिय करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा.

Advertisement
मुकदमे में प्रतिवादी संस्थाओं के रूप में बॉलीवुड टी शॉप, टी पब्लिक, आइस पोस्टर, टॉप पिक्स, वॉलपेपर केव, वॉलपेपर.कॉम, जीएम ऑथेंटिक ऑटो एलएलसी, जेएस शाम रॉक और एटीसी को शामिल किया गया है.

इसके अलावा याचिका में यूट्यूब चैनल एआई एमएच 39, ईट विद सेलेब्रिटीज, एन्जॉय विद सेलेब्रिटीज, ऑल इन 1 और गेम विद गिरि, गूगल एलएलसी, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और दूरसंचार विभाग को भी प्रतिवादी बनाया गया है.

Featured Video Of The Day
Bihar Elections 2025 Ground Report: RJD दफ्तर में टिकट के लिए मेला! अतरंगी लोग भी पहुंचे | Patna