दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिलर्स पर सख्ती बरतने के आदेश देते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि जो कंपनियां आदेशों का पालन नहीं कर रही हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करें. उनके प्लांट टेकओवर करें और मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए. दिल्ली में गहराते ऑक्सीजन संकट पर हाईकोर्ट ने चिंता जताते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि दिल्ली में सिलेंडर व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ी हुई है. न सिलेंडर अस्पतालों को मिल रहे हैं और न ही आम जनता को मिल रहे हैं. यहां तक की कुछ जगहों पर इसके दाम लाखों में हो गए हैं. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली सरकार इन कंपनियों को टेक ओवर करे, हम ये आदेश जारी करेंगे कि सरकार सिलेंडर भरने का काम संभाले. वहीं दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव ने कहा कि हम इसके लिए तैयार हैं, ये बड़ी समस्या बन गई है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन सिलेंडर की ब्लैक मार्केटिंग पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आप लोगों के पास पावर है, उन तमाम लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें. बता दें कि दिल्ली में ऑक्सीजन सप्लाई के मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुनवाई की शुरुआत में शांति मुकुंद अस्पताल की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उसके ऑक्सीजन के आवंटन में कमी हुई है. उन्होंने बताया कि हम बिना ऑक्सीजन के हैं, दिल्ली सरकार से तीन दिन से मांग रहे हैं. दिल्ली सरकार कह रही है सब अच्छा कर रहे हैं लेकिन हमें ऑक्सीजन चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कहा उनको 2.69 MT आवंटन दिया गया है, जितना दे सकते हैं उतना दें, जवाब में उन्होंने कहा कि वो अदालत को बता देंगे कहां कहां कितना ऑक्सीजन दिया. दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया
कल 407 MT ऑक्सीजन आई है, जो पहली बार हुआ है. दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि आज शाम तक, हम अस्पताल से डेटा के आधार पर आदेश जारी करने जा रहे हैं। ऑक्सीजन कोटा को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है , अगर इस मामले में अभी भी शिकायतें हैं, तो हम बदलने के लिए तैयार है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा एक शिकायत लगातार आ रही है कि नोडल अफसर अस्पतालों को जवाब नहीं दे रहे हैं, क्या कारण है कि आप अस्पतालों को जवाब नहीं दे रहे हैं. आपने नोडल अफसर बनाए हैं, इतना संसाधन खड़ा करने का क्या फायदा है, दिल्ली सरकार ने इसके जवाब में कहा कि वह फिलहाल बात कर बताएंगे. बता दें कि हाईकोर्ट ने द्वारका के वेकेंटश्वरा अस्पताल की शिकायत पर ये कहा कि ऑक्सीजन के बारे में नोएल अफसर जवाब नहीं दे रहे हैं. इसके अलावा हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आपके 25 अप्रैल के सरकुलर के पीछे औचित्य क्या है, आप अस्पतालों को ये कह रहे हैं कि जो भी मरीज आए उसे दस मिनट में दाखिला मिले, सभी ऑक्सीजन व अन्य चिकित्सा मिले तो क्या सरकारी अस्पताल इसका पालन कर रहे हैं.