दिल्ली HC ने केंद्र से कहा, 3 बजे तक बताएं, कितने ऑक्सीजन कॉन्सन्ट्रेटर कस्टम विभाग में अटके हैं

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र से पूछा है कि कितने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कस्टम विभाग में अटके हुए हैं. कोर्ट ने कहा कि उसे 3 बजे तक इसकी जानकारी दी जाए.

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दिल्ली हाईकोर्ट में ऑक्सीजन संकट को लेकर सुनवाई.
नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र से पूछा है कि कितने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कस्टम विभाग में अटके हुए हैं. कोर्ट ने कहा कि उसे 3 बजे तक इसकी जानकारी दी जाए. सुनवाई के दौरान वकील अमित महाजन ने जब कहा कि कोई निश्चित संख्या नहीं है. एक आदेश में कहा गया है कि इस प्रक्रिया को 3 घंटे के भीतर पूरा किया जाना है. इसपर कोर्ट ने कहा कि 'हम आपके जवाब से संतुष्ट नहीं है आप इसपर स्पष्ट जवाब दीजिए.' दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हम ऑक्सीज़न की कमी से लोगों को मरने नहीं दे सकते हैं.

एक वकील ने कहा कि 'दिल्ली सरकार ने एम्बुलेंस को मुक्त करने और मृतकों को ले जाने के लिए डीटीसी बसों का उपयोग करने तथा अतिरिक्त श्मशान घाट उपलब्ध कराने का वादा किया है. दिल्ली सरकार को कंसेंट्रेटर, टैंकरों आदि के लिए फंड की स्थापना करनी चहिए, मैं व्यक्तिगत रूप से लोगों को चंदा देने की व्यवस्था करूंगा.'

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि 'मुख्यमंत्री राहत कोष मौजूद है, हम खाता संख्या का विज्ञापन करेंगे. वकील ने कहा कि जो फंड होता है वह सामान्य COVID फंड होता है. मेरा कहना है कि केवल ऑक्सीजन के लिए एक अलग कोष स्थापित करें.'

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली में नर्सिंग होम ऐसे हैं जहां पर ऑक्सीजन की कमी है, नर्सिंग होम में लगभग 8 हज़ार बेड हैं, बड़े अस्पतालों के साथ-साथ नर्सिंग होम में भी ऑक्सीजन की सप्लाई होनी चाहिए. एक अन्य वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में ज़रूरी दवाओं की कमी का मामला उठाते हुए कहा कि दिल्ली में रेमडेसिविर इंजेक्शन पर ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है, दिल्ली सरकार को पैरासिटामॉल जैसी दवाओं पर भी ध्यान देना चाहिए.

एमिकस ने कोर्ट से कहा कि दिल्ली के लिए 50MT ऑक्सीजन का बफर स्टॉक बनाया जाए. दिल्ली सरकार ने कहा कि ये 100 MT हो. आने वाले दिनों में 976 MT ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी. हम कल हलफनामा दाखिल करेंगे कि पांच हजार बेड वाला अस्पताल शुरू नहीं हो पा रहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि फिर हम भी आदेश जारी करेंगे.

दिल्ली में कोरोना के हालात को लेकर सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की दलील ठुकराई कि वह चिकित्सा ऑक्सीजन की कमी के मामले की सुनवाई ना करे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि आप हमें यह नहीं बता सकते कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया है और वो ही इससे निपटेगा. सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया है जिसे लागू करना होगा. हम सभी इसके लिए कर्तव्य बाध्य हैं. जस्टिस  विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने ASG चेतन शर्मा को ये जवाब दिया. 

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दरअसल केंद्र ने कहा था कि ऑक्सीजन मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है इसलिए हाईकोर्ट इसे ना सुने. पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में अस्पतालों में बेड व अन्य मामले पर कुछ नहीं है. हाईकोर्ट की जिम्मेदारी है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराए. 

दिल्ली सरकार की चिट्ठी पर मांगी है प्रतिक्रिया

बता दें कि आज दिल्ली हाईकोर्ट में ऑक्सीजन संकट को लेकर हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को लिखी गई चिट्ठी की जानकारी दी गई. दिल्ली सरकार ने रक्षामंत्री को चिट्ठी लिखकर कोविड के खिलाफ लड़ाई में सेना की मदद मांगी है. 

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मनीष सिसोदिया ने रक्षा मंत्रालय से दिल्ली में 10000 ऑक्सीजन युक्त बेड और 1,000 आईसीयू बेड बनाने में मदद मांगी है. साथ ही दुर्गापुर, कलिंगा नगर आदि प्लांटों से टैंकर से जरिए दिल्ली में ऑक्सीजन लाने में मदद मांगी है. हाईकोर्ट ने इस चिट्ठी को लेकर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी है.

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