दिल्ली सरकार Vs एलजी केस: किसके नियंत्रण में प्रशासनिक सेवाएं? सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच को यह मामला 6 मई 2022 को रेफर किया गया था. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच सर्विसेज का कंट्रोल किसके हाथ में हो, इस मामले में फैसला सुना रही है.

विज्ञापन
Read Time: 17 mins
दिल्ली में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में होंगी, इस पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना रहा है.
नई दिल्ली:

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के बीच टकराव का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में है. अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मांग रही दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ अपना फैसला सुना रही है. प्रधान न्यायाधीश (CJI)  डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ इस पर अपना फैसला सुना रही है. अदालत ने 18 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. 

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच को यह मामला 6 मई 2022 को रेफर किया गया था. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच सर्विसेज का कंट्रोल किसके हाथ में हो, इस मामले में फैसला देगी.

दिल्ली में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में होंगी, इस पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने 14 फरवरी 2019 को एक फैसला दिया था. लेकिन, उसमें दोनों जजों का मत अलग था. लिहाजा फैसले के लिए तीन जजों की बेंच गठित करने के लिए मामले को चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया गया था. इसी बीच केंद्र ने दलील दी थी कि मामले को और बड़ी बेंच को भेजा जाए.

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि एलजी स्वतंत्र तौर पर काम नहीं करेंगे. अगर कोई अपवाद है तो वह मामले को राष्ट्रपति को रेफर कर सकते हैं और जो फैसला राष्ट्रपति लेंगे उस पर अमल करेंगे. यानी एलजी खुद कोई फैसला नहीं लेंगे. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने राजधानी दिल्ली में प्रशासन के लिए एक पैरामीटर तय किया है. शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद-239एए की व्याख्या की थी.

4 जुलाई 2018 को अदालत ने दिए थे कई मसलों पर फैसला
4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र बनाम दिल्ली विवाद के कई मसलों पर फैसला दिया था, लेकिन सर्विसेज यानी अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे कुछ मुद्दों को आगे की सुनवाई के लिए छोड़ दिया था. जिसके बाद 14 फरवरी 2019 को इस मसले पर 2 न्यायमूर्तियों की बेंच ने फैसला दिया था, लेकिन दोनों न्यायमूर्तियों, जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण का निर्णय अलग-अलग था. इसके बाद मामला 3 जजों की बेंच के सामने लगा. आखिरकार चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने मामला सुना. अब गुरुवार को फैसला आना है.

दोनों पक्षों की क्या है दलील?
दिल्ली सरकार ने दलील दी कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कह चुकी है कि भूमि और पुलिस जैसे कुछ मामलों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सर्वोच्चता रहेगी. दिल्ली का प्रशासन चलाने के लिए आईएएस अधिकारियों पर राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण जरूरी है, लेकिन केंद्र सरकार ने कहा कि गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में किए गए संशोधन से स्थिति में बदलाव हुआ है. दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है. यहां की सरकार को पूर्ण राज्य की सरकार जैसे अधिकार नहीं दिए जा सकते. केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार राजनीतिक अपरिपक्वता के चलते लगातार विवाद की स्थिति बनाए रखना चाहती है.

Advertisement

ये भी पढ़ें:-

कोई UT एक सेवा स्थापित करने के लिए कानून नहीं बना सकता : दिल्ली सरकार Vs एलजी मामले में सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली सरकार vs एलजी केस : SC पहुंची केजरीवाल सरकार, GNCTD संशोधन बिल से जुड़ी अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग

Advertisement

दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Featured Video Of The Day
Illegal Immigrants: घुसपैठ पर Mamata Vs Yogi का डंडा! | Syed Suhail | Bharat Ki Baat Batata Hoon