कृषि कानून के विरोध में बुराड़ी का निरंकारी मैदान किसानों का नया ठिकाना बन गया है. इस मैदान में पंजाब से लेकर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड से भी किसान लगातार पहुंच रहे हैं. बुराड़ी के मैदान में किसानों की रणनीति बन रही है. दिल्ली पुलिस सुबह आठ बजे से निरंकारी मैदान के बाहर किसानों को रोकने के लिए बेरीकेट से लेकर सीमेंट के बड़े-बड़े गार्डर सड़क पर लगा रही है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती है.
निरंकारी मैदान पर आ तमाम तैयारी का गई है. कई नेताओं के स्वागत के पोस्टर लग गए हैं. निरंकारी मैदान के अंदर कृषि नीति का विरोध करने के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मजदूर मौजूद हैं. किसानों को समर्थन देने के लिए सैकड़ों किलोमीटर चलकर मेधा पाटेकर भी निरंकारी मैदान पहुंची हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने कहा कि ''ये तो एक फेकू घोषणा है. न्यूनतम समर्थन मूल्य अगर स्वामीनाथन आयोग पर देना, उसकी लागत कैसे आंकनी है. एमएसपी का कोई जिक्र नहीं है तीनों कानून में. कपास को नौ हजार, सोयाबीन को दस हजार और गेहूं को साढ़े तीन हजार तय करना चाहिए.''
निरंकारी मैदान में पंजाब की अलग-अलग जगहों से आए किसानों के ट्रैक्टर राशन से भरे हैं. खाने से लेकर पानी तक... रोटी से लेकर पास्ता..तक सब खुद ही बना रहे हैं. लेकिन किसानों की रणनीति महज निरंकारी मैदान में बैठने की नहीं है बल्कि राजमार्ग को घेरना की भी है.
इसी मैदान में फरीदकोट के युवा किसान सरनजीत सिंह और राजबीर सिंह जैसे भी आए हैं. वे कहते हैं कि अगर एमएसपी और आढ़ती सिस्टम खत्म हुआ तो किसानी पूरी तरह बरबाद हो जाएगी. राजबीर सिंह ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से अभी हम ज्यादा खुश नहीं हैं लेकिन ये तो हमें पूरी तरह बरबाद करने पर ही तुले हैं.
बुराड़ी में सरकार के खिलाफ बैठे किसानों के चेहरे पर न तो कोई हड़बड़ाहट दिख रही है और न ही सरकार के झुकने के संकेत मिले हैं. ऐसे में ये गतिरोध कितने दिन चलेगा कहना मुश्किल है.