दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे (Delhi-Dehradun Expressway project) परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे बनाए जाने के कारण पेड़ों की कटाई की वजह से पर्यावरणीय प्रभाव की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र जांच समिति बनाए जाने को तैयार है. इस समिति के गठन को लेकर उसे कोई आपत्ति नहीं है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने यह स्पष्ट किया कि हम NGT के द्वारा बनाई गई कि कमेटी के बदलाव और ना ही कमेटी की स्वतंत्रता के मुद्दे पर है. इस पर AG वेणुगोपाल ने कहा कि NGT ने भी कहा है कि कोई भी सदस्य चाहे तो बनाई गई हाई पावर कमेटी के पास जा सकता है. कोर्ट ने AG से कहा कि जो तीन नाम दिए गए है उनमें से एक ने वन्य जीव रिपोर्ट तैयार की है, जबकि 2 अन्य केंद्र द्वारा ही नियुक्त किए गए हैं. आप इन नामों पर विचार कर लें. कोर्ट इस मामले पर 19 अप्रैल को सुनवाई करेगा.
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दरअसल, NGO सिटीजन फॉर ग्रीन दून ने देहरादून और दिल्ली के बीच NH 72ए के एक हिस्से के लिए गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के डायवर्जन और चौड़ीकरण और एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई की वैधता का मुद्दा उठाया है. इसने राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( NGT) के आदेश को चुनौती दी है जिसमें दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा परियोजना के लिए दी गई वन मंजूरी की वैधता को बरकरार रखा गया था .