"समर्थन के लिए शुक्रिया" : केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल को मिला एमके स्टालिन का साथ

अरविंद केजरीवाल को उम्मीद है कि विपक्षी दलों के समर्थन से अध्यादेश राज्यसभा में पास नहीं होगा. केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांग चुके हैं.

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने चेन्नई में सीएम एमके स्टालिन के आवास पर मुलाकात की.
चेन्नई:

दिल्ली के ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले (Delhi Transfer-Posting Case) में केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. इसी बीच केजरीवाल ने गुरुवार 1 जून को तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन (MK Stalin) से उनके आवास पर मुलाकात की. केजरीवाल ने अध्यादेश के खिलाफ एमके स्टालिन का समर्थन मांगा. स्टालिन ने आप को समर्थन देने की बात कही है.

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमने आज उनसे (एमके स्टालिन) दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा की. यह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. सीएम स्टालिन ने आश्वासन दिया है कि डीएमके, आम आदमी पार्टी और दिल्ली के लोगों के साथ खड़ी रहेगी." इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह, आप नेता राघव चड्ढा और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी भी मौजूद रहीं. केजरीवाल 2 जून को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी रांची में मुलाकात करेंगे.

इन नेताओं से कर चुके मुलाकात
इससे पहले अरविंद केजरीवाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे सहित कई नेताओं से मिल चुके हैं. अध्यादेश को लेकर इन सभी नेताओं ने केजरीवाल का समर्थन करते हुए कहा कि हम राज्यसभा में इसके खिलाफ वोट करेंगे. 


11 मई को आया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा. 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे.

केजरीवाल सरकार ने सर्विस सेक्रेटरी का ट्रांसफर किया
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के फैसले के एक दिन बाद ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्विस सेक्रेटरी आशीष मोरे को हटा दिया. दिल्ली सरकार का आरोप है कि एलजी ने इस फैसले पर रोक लगा दी है. एलजी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ऐसा कर रहे हैं. यह कोर्ट के आदेश की अवमानना है. हालांकि, बाद में एलजी ने फाइल पास कर दी. 

 केंद्र ने 19 मई को जारी किया अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 7 दिन बाद केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी एलजी का होगा. इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा. ​​​​संसद में अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.

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केंद्र ने लगाई पुनर्विचार याचिका
इसके बाद केंद्र सरकार ने 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई. केंद्र ने संवैधानिक बेंच द्वारा दिए गए 11 मई के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को फिर से विचार करने की अपील की.

इसके बाद अरविंद केजरीवाल इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष का समर्थन जुटाने में लगे हैं. उन्हें उम्मीद है कि विपक्षी दलों के समर्थन से अध्यादेश राज्यसभा में पास नहीं होगा. केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांग चुके हैं.

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