बीजेपी ने शनिवार को दिल्ली विधानसभा सीट के लिए अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की थी. इसमें एक नाम ने सबको चौंकाया था. यह नाम था कपिल मिश्र का. उन्हें बीजेपी ने करावल नगर से उम्मीदवार बनाया है. लोगों के चौंकने की वजह यह थी कि बीजेपी ने अपने विधायक का टिकट काटकर मिश्र को उम्मीदवार बनाया है. करावल नगर दिल्ली में बीजेपी का एक मजबूत किला है. साल 1993 से हुए चुनावों में बीजेपी केवल एक बार ही इस सीट से हारी है. यह नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट में आती है. ऐसे में लोगों की नजरें इस बार करावल नगर पर लगी हुई हैं कि कपिल मिश्र बीजेपी के इस गढ़ को बचा पाते हैं या नहीं.
बीजेपी का मजबूत किला
करावल नगर शुरू से ही बीजेपी का गढ़ रहा है. साल 1993 में हुए पहले चुनाव में यहां से बीजेपी के टिकट पर राम पाल ने जीत दर्ज की थी. करावल नगर में 1993 से जारी हुई बीजेपी के जीत का सफर 2013 तक जारी रहा. बीजेपी ने 1998 के चुनाव में राम पाल की जगह मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा था. बिष्ट करावल नगर से 2013 तक जीतते रहे. लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के कपिल मिश्र ने उन्हें करीब 45 हजार वोटो से मात दे दी थी.जब कपिल मिश्र ने करावल नगर से जीत दर्ज की थी, उस समय उनकी मांग अन्नपूर्णा मिश्र बीजेपी में थीं. वो इसी विधानसभा सीट में आने वाले सोनिया विहार वार्ड से दो बार पार्षद रह चुकी हैं. बिष्ट ने 2020 के चुनाव में अपनी सीट आप से छीन ली थी.
साल 2020 के चुनाव से पहले कपिल मिश्र पार्टी से अनबन होने के बाद आप छोड़ गए थे. इसके बाद आप ने दुर्गेश पाठक को करावल नगर से टिकट दिया था. इस चुनाव में बिष्ट ने करावल नगर से फिर जीत दर्ज की. उन्होंने दुर्गेश पाठक को आठ हजार से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया. लेकिन 2025 के चुनाव में बीजेपी ने बिष्ट का टिकट काटकर कपिल मिश्र को मैदान में उतार दिया है. मिश्र 2020 के चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे. बीजेपी ने 2020 में उन्हें मॉडल टाउन से टिकट दिया था. वहां उन्हें आप के अखिलेश पति त्रिपाठी ने 11 हजार से अधिक वोटों के अंतर से मात दी थी.
कपिल मिश्र को कौन देगा चुनौती
कपिल मिश्र एक फिर करावल नगर से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार उनका मुकाबला आप के मनोज त्यागी और कांग्रेस के पीके मिश्र से है. करावल नगर में बड़ी आबादी उत्तरांचल के लोगों की है.यही वजह है कि बिष्ट इतने लंबे समय से इस सीट से जीत दर्ज करते रहे हैं.पहाड़ी के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग भी बड़ी संख्या में यहां मतदाता हैं. इनके अलावा पंजाबी,हरियाणवी और पश्चिम उत्तर प्रदेश के लोग भी इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हैं. इस आबादी को ध्यान में रखते हुए ही विभिन्न दलों ने अपने उम्मीदवारों का चयन किया है. कांग्रेस के लिए यह सीट अभी भी पहले बनी हुई है. कांग्रेस आज तक यह सीट जीत नहीं पाई है. चुनौती केवल कांग्रेस के सामने ही नहीं बल्कि दिल्ली में सरकार चला रही आप के सामने भी है. वह एक बार फिर इस सीट को जीतने की कोशिश करेगी. इसलिए ही आप ने इस सीट पर उम्मीदवार की घोषणा सबसे पहले कर दी थी.
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