दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल कर आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी शिकस्त दी. भाजपा को 48 तो 'आप' को 22 सीटें मिलीं. वहीं, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस एक बार फिर खाता खोलने में असफल रही. इस चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के पीछे कई फैक्टर्स की चर्चा की जा रही है. सबसे अधिक चर्चा जिस बात की हो रही है वो है कि बीजेपी ने टिकट बंटवारे में लगभग तमाम समूहों और राज्यों के लोगों को साधने की कोशिश की और उसे इसका लाभ भी मिला. दिल्ली एक ऐसा क्षेत्र रहा है जहां देश के लगभग सभी राज्यों के लोग रहते हैं. कुछ राज्यों की बड़ी संख्या में लोग दिल्ली में रहते हैं. चुनावी हार जीत पर इसका असर होता रहा है.
मूल रूप से किसी और राज्य के रहने वाले कितने उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे हैं.
राज्य | विधायकों की संख्या |
हरियाणा | 6 |
बिहार | 5 |
उत्तर प्रदेश | 3 |
उत्तराखंड | 2 |
पंजाब | 1 |
भाजपा से 6 में से 4 पूर्वांचली उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. वहीं, 14 में से 12 हरियाणवी और 3 में से 2 उत्तराखंडी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. भाजपा ने ऐसे क्षेत्रों में भी मजबूत प्रदर्शन किया, जहां पूर्वांचली और हरियाणवी मतदाता अधिक हैं. 35 सीटों पर जहां 15 फीसदी से अधिक पूर्वांचली मतदाता थे, भाजपा ने 25 सीटों पर विजय पाई और 13 ऐसी सीटें जहां 5 फीसदी से अधिक हरियाणवी मतदाता थे, वहां भाजपा ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की.
जाति आधारित विश्लेषण में भाजपा ने 10 प्रतिशत से अधिक सिख, पंजाबी, गुज्जर, जाट, वाल्मीकि और जाटव जैसे विभिन्न जाति समूहों वाले इलाकों में बड़ी सफलता प्राप्त की. सिख मतदाताओं वाले 4 सीटों में से भाजपा ने 3 सीटों पर जीत हासिल की. पंजाबी मतदाताओं वाले 28 सीटों में से भाजपा ने 23 सीटों पर जीत दर्ज की. गुज्जर मतदाताओं वाले 5 सीटों में से भाजपा ने 2 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं, जाट मतदाताओं वाले 13 सीटों में से 11 सीटों पर, वाल्मीकि मतदाताओं वाले 9 सीटों में से 4 सीटों पर जीत और जाटव मतदाताओं वाले 12 सीटों में से 6 सीटों पर पार्टी ने जीत दर्ज की.