सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो मामले (Delhi Airport Express Metro Case) में आदेश दिया है कि रिलायंस इंफ्रास्टक्चर लिमिटेड (Reliance Infrastructure Ltd.) फर्म ब्याज सहित लगभग 5,800 करोड़ रुपये के मध्यस्थता अवार्ड की हकदार है. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने 2019 में अवार्ड को रद्द कर दिया था. आर इंफ्रा बनाम दिल्ली मेट्रो मामले में अगस्त 2008 में रिलायंस इन्फ्रा ने बीओटी आधार पर दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस के लिए डीएमआरसी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. अक्टूबर 2012 मे रिलायंस इंफ्रा ने समझौते को समाप्त करने का नोटिस दिया.
अक्टूबर 2012 में डीएमआरसी ने मध्यस्थता खंड लागू किया और मध्यस्थता शुरू करने की मांग की . मई 2017 में आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने रिलायंस इन्फ्रा को डीएमआरसी को 2800 करोड़ बतौर हर्जाना और ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया.
मार्च 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने फैसले को बरकरार रखा और डीएमआरसी को हर्जाना देने का निर्देश दिया. वहीं जनवरी 2019 में डीएमआरसी को राहत देते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मध्यस्थता अवार्ड को रद्द कर दिया. जनवरी 2019 तक ब्याज के साथ मध्यस्थता अवार्ड की राशि रु 4500 करोड़ हो चुकी थी. हालांकि आंकड़े के अनुसार, अब यह राशि 5800 करोड़ तक पहुंच चुकी है.
फरवरी 2019 में अनिल अंबानी की आर इंफ्रा ने मध्यस्थता अवार्ड को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसके बाद इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है.
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