दिल्ली और आसपास के इलाकों के वातावरण में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. क्योंकि लोगों ने दिवाली पर पटाखे फोड़ने के लिए सरकार के प्रतिबंध की घोर अवहेलना की है. हवा में प्रदूषण का दूसरा कारण हर साल की तरह पराली जलाने का भी है. दिवाली के दिन गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने का योगदान बढ़कर 25 प्रतिशत हो गया जो इस मौसम का अब तक का सर्वाधिक स्तर है. अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मध्यरात्रि तक ''गंभीर'' की श्रेणी में पहुंच सकता है और पटाखे जलाए जाने की सूरत में शुक्रवार सुबह तक प्रदूषण का स्तर और अधिक बढ़ने की आशंका है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर' के संस्थापक परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा कि पिछले साल की तुलना में 50 प्रतिशत पटाखे जलाए जाने पर दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण का स्तर मध्यरात्रि तक ''गंभीर'' की श्रेणी में पहुंच सकता है. उन्होंने कहा कि शुक्रवार सुबह तक पीएम 2.5 प्रदूषण के स्तर में तेज वृद्धि दर्ज की जा सकती है और एक्यूआई 500 के स्तर को पार कर सकता है. वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी का पिछले 24 घंटे का औसत एक्यूआई बृहस्पतिवार को 382 पर पहुंच गया, जो बुधवार को 314 था. मंगलवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 303 और सोमवार को 281 था.
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ''अच्छा'', 51 और 100 के बीच ''संतोषजनक'', 101 और 200 के बीच ''मध्यम'', 201 और 300 के बीच ''खराब'', 301 और 400 के बीच ''बहुत खराब'', तथा 401 और 500 के बीच को ''गंभीर'' माना जाता है. ‘सफर' के पूर्वानुमान के मुताबिक, शुक्रवार को दिल्ली के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने का योगदान बढ़कर 35 प्रतिशत और शनिवार को 40 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. उत्तर-पश्चिम हवाएं पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के कारण उठने वाले धुएं को दिल्ली की तरफ ला सकती हैं. सफर के मुताबिक, सात नवंबर की शाम तक ही कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. हालांकि, एक्यूआई ''बेहद खराब'' की श्रेणी में रहने की आशंका है.