दिल्ली में चुनावी बिगुल बज चुका है. दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi assembly elections) में इस बार कांग्रेस काफी सक्रिय नजर आ रही है, ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है. हालांकि, पिछले दो चुनावों में कांग्रेस रेस में कहीं नजर नहीं आई, लेकिन इस बार अगर मुस्लिम वोटरों का साथ मिल जाता है, तो कांग्रेस गेम में वापस आ सकती है. दिल्ली के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से 7 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. ये सीटें हैं- मटिया महल, बाबरपुर, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक और बल्लीमारान. क्या कांग्रेस दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर कर सकती है खेला..?
क्या कांग्रेस दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर कर सकती है खेला?
आम आदमी पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर, सीलमपुर, ओखला और बल्लीमारान सभी सीटों पर बड़ी आसानी से जीत दर्ज की थी. ऐसा लगा ही नहीं कि आम आदमी पार्टी की टक्कर में कोई सामने खड़ा भी है या नहीं. वहीं, कांग्रेस पार्टी का हाल ये रहा कि इन सभी सीटों पर वो तीसरे नंबर पर रही. आम आदमी पार्टी ने इन चुनावों में 70 में से 62 सीटों पर शानदान जीत दर्ज की थी और उसका वोटिंग प्रतिशत 53.57% रहा. वहीं, बीजेपी को 38.51% और कांग्रेस को सिर्फ 4.26% वोट मिले थे. लेकिन इस बार कांग्रेस फिर रेस में आने की कोशिश कर रही है. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या मुस्लिम वोटर कांग्रेस के साथ जाएंगे? दिल्ली चुनाव पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट बताते हैं कि इस बार काफी संभावना है कि दिल्ली के मुस्लिम वोटर कांग्रेस के बारे में विचार करें. इसके पीछे आम आदमी पार्टी की बदली रणनीति है.
दिल्ली दंगे और AAP का हिंदुत्व की ओर झुकाव...
आम आदमी पार्टी के नेताओं को भी इस बात का अहसास है कि उनके हाथों से इस बार मुस्लिम वोटरों के छिटकने का चांस है. दबी आवाज में कुछ आप नेता कहते हैं कि मुस्लिम समुदाय को लेकर इस बार कुछ असमंजस की स्थिति है. हालांकि, उन्हें विश्वास है कि इस बार भी सभी सातों सीटों पर वे बड़े मार्जन से नहीं, लेकिन जीत दर्ज कर लेंगे. दरअसल, 2020 में हुए दिल्ली दंगे, मुस्लिम अभी तक भूले नहीं हैं, जब आम आदमी पार्टी 'मूक दर्शक' बन गई थी और मुस्लिम वोटरों के पक्ष में कुछ नहीं कहा था. वहीं, आम आदमी पार्टी का हिंदुत्व की ओर कुछ झुकाव भी खेल बिगाड़ सकता है और सीधा फायदा कांग्रेस पार्टी को हो सकता है.
मुस्तफाबाद ओवैसी ने भी उतारा उम्मीदवार
साल 2015 में, जब आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों के साथ दिल्ली में जीत हासिल की, तो मुस्तफाबाद उन तीन निर्वाचन क्षेत्रों में से एक था जो भाजपा के पास गए थे. इसके उम्मीदवार जगदीश प्रधान ने लगभग 40% मुस्लिम मतदाताओं के साथ सीट से जीत हासिल की, जिसका मुख्य कारण आप के हाजी यूनुस (30.13% वोट शेयर) और कांग्रेस के हसन अहमद (31.68%) के बीच भाजपा विरोधी वोट का विभाजन था. लेकिन 2020 में, हाजी यूनुस के पीछे अल्पसंख्यकों के एकजुट होने के बाद, AAP ने मुस्तफाबाद में जीत हासिल की, जिससे उन्हें 53.2% वोट मिले. जगदीश प्रधान 42.06% के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि कांग्रेस के अली मेहदी को केवल 2.89% वोट मिले. हालांकि, इस बार असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने इस सीट पर अपने उम्मीदवार को उतार दिया है, जिससे मुकाबला कड़ा हो गया है. मुस्तफाबाद से पार्टी ने आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को मैदान में उतारा है, जो दिल्ली दंगा मामले के आरोपियों में से एक हैं और इसके सिलसिले में कुछ समय जेल में भी रह चुके हैं. कांग्रेस ने मेहदी फिर उतारा है आप ने नए उम्मीदवार आदिल अहमद खान को टिकट दिया है.
बाबरपुर विधानसभ सीट
बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी लगभग 45 प्रतिशत है. यहां आम आदमी पार्टी ने मंत्री गोपाल राय को फिर टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने सीलमपुर से AAP के पूर्व विधायक मोहम्मद इशराक को मैदान में उतारा है. गोपाल राय ने पांच साल पहले बाबरपुर में 59.39% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी के नरेश गौड़ 36.23% वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस की अन्वीक्षा जैन 3.59% के साथ तीसरे स्थान पर रही थीं.
ओखला सीट अमानतुल्ला खान का गढ़
ओखला विधानसभा सीट, जिसे आप के अमानतुल्ला खान के गढ़ के रूप में देखा जाता है, यहां की आबादी में लगभग 55% अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं. शाहीन बाग इसी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जहां मुस्लिमों ने विरोध प्रदर्शन किया था. 2020 में इस सीट से अमानतुल्ला ने 66.03% वोट हासिल कर सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा के ब्रह्म सिंह 29.65% वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस के परवेज़ हाशमी 2.59% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
मटिया महल सीट पर 60% मुस्लिम
मध्य दिल्ली में मटिया महल सीट हमेशा चर्चा में रहती है. जामा मस्जिद इस निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 60% है. 2020 में, AAP के शोएब इकबाल ने 75.96% वोट पाकर मटिया महल जीता था. भाजपा के रविंदर गुप्ता 19.24% वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस के मिर्जा जावेद अली 3.85% के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
सीलमपुर विधानसभा सीट पर AAP निश्चिंत
सीलमपुर सीट भी मुस्लिम बहुल सीट है, जहां ज्यादातर आबादी अल्पसंख्यकों की है. साल 2020 के इस विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के मोहम्मद इशराक ने 56.05 प्रतिशत वोट हासिल कर चुनाव जीता था. दूसरे स्थान पर 27.58% वोटों के साथ बीजेपी के कुशाल मिश्रा और तीसरे स्थान पर कांग्रेस के मातीन अहमद रहे थे, जिन्हें 15.61 प्रतिशत वोट मिले थे.
चांदनी चौक सीट पर क्या कांग्रेस करेगी खेला?
चांदनी चौक सीट एक समय कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. लेकिन अब यहां आम आदमी पार्टी का दबदबा है. 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप के प्रहलाद सिंह साहनी को 50,891 वोट मिले थे. 65.92 प्रतिशत वोट शेयर के साथ उन्होंने शानदार जीत दर्ज की थी. दूसरे स्थान पर 24.8 प्रतिशत वोटों के साथ बीजेपी के सुमन कुमार गुप्ता और तीसरे स्थान पर कांग्रेस की अल्का लांबा रही थीं, जो एक समय आम आदमी पार्टी में थीं. आम आदमी पार्टी ने फिर प्रहलाद सिंह साहनी को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस ने मुदित अग्रवाल को टिकट दिया है. यहां से बीजेपी ने अभी तक अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है.
बल्लीमारान विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दांव
बाल्लमारान सीट पर एक समय कांग्रेस का एकछत्र राज हुआ करता था. कांग्रेस पार्टी में मंत्री रहे हारुन यूसुफ की यहां से जीत पक्की मानी जाती थी, लेकिन पिछले 2 बार से यहां का सीन बदल गया है. 2015 और 2020 में इस सीट से आम आदमी पार्टी के इमरान हुसैन ने जीत दर्ज की और इस बार भी आप ने उन्हीं पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने एक बार फिर हारुन यूसुफ पर दांव खेला है. बीजेपी ने यहां से अभी तक कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है.