भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार को लेकर 2008 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही थी, तब समाजवादी पार्टी (सपा) के तत्कालीन सांसद अतीक अहमद ने अपनी पार्टी के ‘व्हिप' की अवहेलना कर सत्तारूढ़ गठबंधन के विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था. लोकसभा के रिकॉर्ड से यह जानकारी प्राप्त हुई.
रविवार को ‘पीटीआई-भाषा' की एक खबर में 'बाहुबलीज ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स: फ्रॉम बुलेट टू बैलट' नामक पुस्तक के हवाले से दावा किया गया था कि अतीक ने 'कर्तव्यपरायणता के साथ अपना कीमती वोट डाला था, और इसमें कोई शक नहीं कि वह वोट संकटग्रस्त संप्रग के पक्ष में था.'' हालांकि, संसद के रिकॉर्ड के अनुसार, यह दावा गलत है.
लोकसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध रिकॉर्ड बताते हैं कि 22 जुलाई, 2008 को सदन ने ‘‘प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा पेश किए गए मंत्रिपरिषद में विश्वास प्रस्ताव पर आगे की चर्चा की.'' रिकॉर्ड के अनुसार, ‘‘यह सदन मंत्रिपरिषद में अपना विश्वास व्यक्त करता है.'
सरकार ने 256 के मुकाबले 275 मतों से विश्वास मत हासिल कर लिया था. प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वालों की सूची में अतीक अहमद का भी नाम है. अतीक सपा के उन छह सांसदों में शामिल थे, जिन्हें व्हिप का उल्लंघन करने पर पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
हालांकि, रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक में इसका कोई उल्लेख नहीं है. यह पुस्तक राजेश सिंह द्वारा लिखी गई है.