#DecodingG20WithNDTV: विदेशमंत्री डॉ. एस जयशंकर ने NDTV के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि विकसित देश अक्सर क्लाइमेट एक्शन की बात तो करते हैं, लेकिन करते कुछ नहीं. उन्होंने कहा कि हम 125 देशों में गए हैं और उनसे जी20 के मुद्दों के बारे में पूछा है. जलवायु परिवर्तन का मुद्दा बदतर होता जा रहा है. यह कोई अलग विभाग नहीं है. जलवायु परिवर्तन से जुड़ी आपदाएं नियमित रूप से हो रही हैं और एक प्रमुख आर्थिक व्यवधान बन गई हैं. यदि जलवायु परिवर्तन से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होती है, आपकी पूरी अर्थव्यवस्था ख़तरे में पड़ जाएगी. इसलिए क्लाइमेट को लेकर एक्शन बहुत जरूरी है.
जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने के लिए भारत दुनिया के सामने पेश कर रहा है उदाहरण
विदेशमंत्री ने आगे कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने और ऊर्जा के हरित और नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग में परिवर्तन करके दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहा है. जलवायु परिवर्तन संकट में विकसित देशों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर एस जयशंकर ने कहा कि जो लोग उपदेश देते हैं, वे आचरण नहीं करते. उन्होंने कहा कि भारत को अपने कार्यों से वैश्विक समुदाय को आगे का रास्ता दिखाना होगा.
जलवायु के हालात खराब
2008 की मंदी के बाद दुनिया को कई चुनौतियां मिली. 2023 के बाद की दुनिया बहुत जटिल है. कोरोना महामारी के बाद कई चिंताएं हैं. जलवायु से जुड़ी चुनौतियां हैं. जी 20 की प्राथमिकता जलवायु है. आज जलवायु के हालात खराब हैं. सो ग्लोबल हालात बहुत अलग से हैं, भारतीय नेतृत्व इसके लिए सक्षम है.
भारत ग्लोबल साउथ की आवाज है
भारत अपनी मिसाल बना रहा है. भारत ग्लोबल साउथ की आवाज है. ग्लोबल साउथ विकास का अक्स है, आय का अक्स है. ग्लोबल साउथ एकता का अहसास भी है. ग्लोबल साउथ प्रदर्शन का आइना भी है. ग्लोबल साउथ की आवाज़ बनना बहुत बड़ा उत्तरदायित्व है, हमने यह नाम खुद नहीं दिया है.
समस्याओं का आसान हल खोजें, जी 20 के मुद्दे सामान्य नागरिक भी समझें
विदेशमंत्री ने बताया कि इस बार जी-20 में जो भी बातचीत होगी, कोशिश रहेगी कि वो सामान्य नागरिक भी समझें. पीएम मोदी चाहते थे कि इसे कॉन्फ्रेंस हॉल में ना रखें. पूरे देश में ले जाएं और मुद्दे सबको समझाएं. जी-20 के मुद्दे सबको समझाना अहम हैं. फूड सिक्योरिटी की बात करते हैं तो जानते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अन्न संकट है. तब श्रीअन्न की पैदावार ही हल है. जटिल समस्याओं का आसान हल खोजें. इस हल को लेकर जन भागीदारी हो. जन भागादारी को प्रोत्साहन दिया जाए. जी 20 के माध्यम से अगर पूरी दुनिया में इसका प्रचार कर सकें, लोगों को समझा सकें, यही हमारी जिम्मेदारी है.