गैंगस्टर एक्ट के मामले में मुख़्तार को 10 साल और उसके बड़े भाई अफ़ज़ाल को 4 साल की सज़ा

सांसद अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) एवं मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के विरुद्ध 23 सितंबर 2022 को न्यायालय (Court) में प्रथम दृष्टया आरोप तय हो चुके थे.

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मुख्‍तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई गई है.

गाजीपुर:

बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को एमपी/एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में 10 साल की सज़ा सुनाई है. साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वहीं मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी (BSP MP Afzal Ansari) को भी एमपी एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया है. सांसद अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा और एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया गया है. सांसद अफजाल अंसारी को पुलिस कस्टडी में ले लिया गया है.

आपको बता दें कि 23 सितंबर 2022 को सांसद अफजाल अंसारी एवं मुख्तार अंसारी के विरुद्ध न्यायालय में प्रथम दृष्टया आरोप तय हो चुका था. अभियोजन की तरफ से गवाही पूरी होने के बाद बहस पूरी हो गई थी. फैसले के मद्देनजर पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे. 

फैसले के लिए कोर्ट ने 15 अप्रैल की तारीख दी थी, लेकिन पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण फैसला नहीं आ सका. 29 अप्रैल, शनिवार यानी आज फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की गई थी. अब अफजाल अंसारी की सांसदी भी जा सकती है. किसी भी मामले में दो साल से अधिक की सजा मिलने पर विधायक या सांसद की सदस्यता समाप्त हो जाती है. राहुल गांधी इस मामले में हाल के सबसे बड़े उदाहरण हैं. 

क्या था पूरा मामला जिस पर आना है फैसला 
22 नवंबर 2005 को मुहम्मदाबाद पुलिस ने भांवरकोल में कृष्णानंद राय हत्याकांड और वाराणसी में नंद किशोर रूंगटा के मामले को गैंग चार्ट में शामिल करते हुए सांसद अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी के खिलाफ गिरोह बंद अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया था. इसके बाद से गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी जमानत पर हैं.

विधायकी हारने पर कराई गई थी राय की हत्या
गाजीपुर में 29 नवंबर 2005 को मोहम्मदाबाद से तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय सहित कुल 7 लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया गया था. चुनावी रंजिश के कारण इस हत्या को अंजाम दिया गया था. इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी और अफजाल को आरोपी बनाया गया था. दरअसल, अंसारी ब्रदर्स के प्रभाव वाली मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर 2002 में अफजाल अंसारी को हराकर कृष्णानंद राय ने जीत हासिल की थी. इसके चलते उनकी हत्या हुई थी.

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