सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसला सुनाते हुए विधानसभा स्पीकर को विशेष अधिकार दिया है. सुप्रीम कोर्ट से मिले इस अधिकार के बाद अब विधानसभा स्पीकर ही इन विधायकों की अयोग्यता पर कोई फैसला लेंगे. विधायकों की अयोग्यता के साथ ही उन्हें यह भी तय करना है कि शिवसेना की ओर से जारी कौन सा व्हीप सही है. सुप्रीम कोर्ट से मिले इस विशेष अधिकार को लेकर NDTV ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर से खास बातचीत की. इस बातचीत के दौरान राहुल नार्वेकर ने कहा वह सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही फैसला लेंगे.
"सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक मूल्यों को बरकरार रखा"
NDTV से खास बातचीत में राहुल नार्वेकर ने कहा कि सर्वप्रथम सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया, उससे ये तो साफ है कि उन्होंने संवैधानिक मूल्यों को बरकरार रखा है. हमारे संविधान में विधायिका और न्यायपालिका को अलग-अलग काम दिया गया है. उसको कायम रखते हुए, अध्यक्ष का काम अध्यक्ष को करना चाहिए , इस मत पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया है. मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं. जहां तक बात फैसला लेने की है. तो मैं आपको ये बता दूं कि मैं ये फैसला जल्द से जल्द लूंगा. लेकिन ये निर्णय लेते समय कानूनी जितने प्रावधान हैं, संवैधानिक जितने प्रावधान हैं, मैं उन सब पर विचार करना पड़ेगा और उनका पालन करना पड़ेगा. अगर मैं जल्दबाजी में कोई फैसला लेता हूं तो वो सही नहीं होगा. मुझे लगता है किसी भी फैसले तक पहुंचने से पहले हमें सभी पक्ष को सुनना चाहिए. इन सब का ख्याल रखते हुए ही हम निर्णय लेंगे.
"मैं किसी के दबाव में फैसला नहीं लूंगा"
राहुल नार्वेकर ने आगे कहा कि मुझे विधानसभा के फ्लोर पर बहुमत से चुना गया है, इसलिए मेरे पास विधानसभा का पूरा विश्वास है. लेकिन अगर कोई नेता या कुछ सदस्य ये चाहते हैं कि मैं 10-20 दिन के अंदर ही निर्णय लूं तो मैं उनके हिसाब से तो नहीं चलूंगा. मैं नियमों के हिसाब से चलूंगा. अगर निर्णय 15 दिन में हो सकता है तो 15 दिन में लेंगे. निर्णय लेने में अगर ज्यादा समय लगेगा तो उतना समय लेंगे. मैं किसी भी दबाव में कोई फैसला नहीं लूंगा. अगर कोई ये समझते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष किसी दबाव में आकर फैसला लेंगे तो मैं उनको साफ कर देना चाहता हूं कि मैं किसी भी चीज के दबाव में आकर कोई फैसला नहीं लेने वाला हूं.