ओवैसी की पार्टी AIMIM का पंजीकरण रद्द करने की याचिका के खिलाफ फैसला बरकरार

एआईएमआईएम के पंजीकरण को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया है कि एक राजनीतिक दल के रूप में इस पार्टी के संविधान का उद्देश्य केवल एक धार्मिक समुदाय (मुस्लिमों) के हितों को आगे बढ़ाना है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग द्वारा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का पंजीकरण रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका के खिलाफ फैसले को बरकरार रखा है.
पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गडेला की पीठ ने 16 जनवरी के फैसले में एकल न्यायाधीश के फैसले से सहमति जताई. इसके बाद खंडपीठ ने तिरुपति नरसिम्हा मुरारी की अपील खारिज कर दी.

पीठ ने कहा, ‘‘एकल न्यायाधीश ने माना था कि निर्वाचन आयोग के पास उक्त याचिका में अपीलकर्ता द्वारा बताए गए आधारों पर एआईएमआईएम का पंजीकरण रद्द करने की शक्तियां नहीं है. हम उक्त दृष्टिकोण से सहमत हैं. उपरोक्त के मद्देनजर, अपील में दम नहीं है.''

एआईएमआईएम के पंजीकरण को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया है कि एक राजनीतिक दल के रूप में इस पार्टी के संविधान का उद्देश्य केवल एक धार्मिक समुदाय (मुस्लिमों) के हितों को आगे बढ़ाना है. याचिका में आरोप लगाया गया कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है जिसका कि हर राजनीतिक दल को संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत पालन करना होता है.

हालांकि, पीठ ने कहा कि एआईएमआईएम ने कानूनी प्रावधानों के अनुरूप अपने संविधान में संशोधन किया है और इसलिए अपीलकर्ता की मुख्य दलील टिक नहीं पाती है.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Waqf Bill क्या है? इस पर मचे बवाल की असल वजह क्या? आसान भाषा में जानें
Topics mentioned in this article