दावोस डायरी 2024: भारत का उद्भव और वैश्विक विश्वास की तलाश- गौतम अदाणी

WEF 24 का पहला बड़ी थीम रीबिल्डिंग ट्रस्ट, तो वहीं दूसरी 'भारत का उद्भव' (Rise Of India)' रही-गौतम अदाणी

विज्ञापन
Read Time: 28 mins
अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी.
नई दिल्ली:

अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने अपने दावोस यात्रा के दौरान के अनुभवों को साझा किया. उन्होंने लिखा, इस साल रास्ते में हो रही भारी बर्फबारी और ट्रैफिक को देखकर एक बात को साफ हो गई कि जिनेवा से दावोस जाने के लिए घंटेभर की हेलीकॉप्टर उड़ान सेवा लेना ही अच्छा विकल्प होगा. जैसे ही हम हेलीकॉप्टर में सवार होने के लिए तैयार हुए, इस दौरान मैं हंस और माइकल नाम के दो पायलटों से मिला. दोनों ही पायलटों की उम्र 20 साल के करीबी थी. घने बादलों के बीच से होकर स्विस आल्प्स की बर्फ से ढकी चोटियों के पार जाती इस यात्रा के दौरान मुझे आत्मचिंतन का समय मिला. हमने अपनी सुरक्षा दो अज्ञात और युवा पायलटों के हाथों में थमा दी. हमें ये मानकर चल रहे थे कि वे घने बादलों में घिरी घाटियों और ऊंची-ऊंची चोटियों वाले पहाड़ी क्षेत्र में ठीक से रास्ता खोज लेंगे. हमारा ये विश्वास वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) 2024 के थीम, 'रीबिल्डिंग ट्रस्ट' से मेल खा रहा था.

WEF 24 का पहला बड़ी थीम रीबिल्डिंग ट्रस्ट, तो वहीं दूसरी 'भारत का उद्भव' (Rise Of India)' रही.

चलिए विश्वास को परिभाषित करने से शुरू करते हैं. यह वो बुनियादी तत्व है, जो सामाजिक गतिविधियों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है. ये व्यक्तिगत स्तर के साथ-साथ, आम लोगों और देशों के आपसी व्यवहार और सहयोग को आसान बनाता है. विश्वास के प्रभाव पर कोलंबिया बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर जॉन व्हिटनी कहते हैं, 'अविश्वास से व्यापार करने की लागत दोगुनी हो जाती है.' ये अहम वक्तव्य आज दुनिया के सामने मौजूद विश्वास की चुनौतियों के बारे में बताता है. अविश्वास की कीमत को आंकड़ों में बताना मुश्किल है, लेकिन ये साफ है कि वैश्विक नेताओं के बीच आपसी अविश्वास की कीमत अब पूरी दुनिया को चुकानी पड़ रही है.

इस साल राजनीतिक नेताओं, बिजनेस एग्जीक्यूटिव्स और मीडिया इंफ्लूएंसर्स के अलग-अलग समूहों के साथ बातचीत के दौरान मैंने एक ऐसी कॉमन बात महसूस की, जो भौगोलिक और वैचारिक सीमाओं से परे जाकर सभी में मौजूद थी. अब कोविड-19 से बढ़कर ज्यादा जटिल चीजों पर फोकस आ गया है. इस बात से इनकार करना मुश्किल है कि आज दुनिया भूराजनीतिक विभाजन, कई तरह के उभरते विवादों और आपसी वैमनस्य में फंसी हुई है, जिससे वैश्व के सामने अभूतपूर्व चुनौतियां पैदा हो गई हैं.

Advertisement

ये जटिलता तब और गंभीर हो जाती है,  जब मानवता के सामने इकोनॉमिक डीकपलिंग (अर्थव्यवस्थाओं की आपसी निर्भरता कम होना), पर्यावरणीय समस्याओं के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक उपयोग से जुड़ी चुनौतियां मौजूद हैं. आज की दुनिया में हमें एक विडंबनापूर्ण विरोधाभास देखने को मिलता है. ये प्लेटफॉर्म जिन्हें समझ को विस्तार देने, विचारों के आदान-प्रदान और साझा जमीन खोजने के लिए बनाया गया था, वे लगातार ध्रुवीकरण का मंच बन रहे हैं. WEF में भी ये ट्रेंड दिखाई दे रहा है, जहां बातचीत से कुछ देश नदारद हैं, जिसके चलते विचारों की विविधता कम हो रही है.

Advertisement

हम एक लंबे बदलाव का सामना करने वाले हैं, जिसमें गहरी अनिश्चित्ता होगी. अनिश्चित्ता का ये माहौल आपसी टकराव और विवादों के विस्तार के लिए उपजाऊ जमीन तैयार करता रहेगा. आज पहले से ज्यादा बहुपक्षवाद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बेहद जरूरत है, ये सिर्फ वैश्विक राजनीतिक नेतृत्व में सहमति से पैदा हो सकता है.

Advertisement

"30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रास्ते पर भारत"

अब 'Theme Of India' पर लौटते हैं, मुझे दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों के साथ-साथ कॉरपोरेट लीडर्स, मीडिया लीडर्स से मुलाकात का मौका मिला. आम विचार यही है कि 2050 तक भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रास्ते पर प्रभावी ढंग से आगे बढ़ रहा है, लेकिन देश की युवा श्रमशक्ति को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत के पास और भी ज्यादा विकास करने की संभावना है. उम्मीद के मुताबिक हर बातचीत में AI जैसी नई तकनीकी की खोज और भारत के विकास में इनके इस्तेमाल पर चर्चा हुई.  दुनिया में 'AI बैक ऑफिस' के तौर पर भारत की भूमिका की संभावना पर भी एक शानदार चर्चा  हुई.

Advertisement

बातचीत के दौरान जो सबसे प्रभावी थीम निकलकर आई, वो बीते दशक के दौरान भारत के जबरदस्त सामाजिक बदलाव पर थी, जो कॉन्फ्रेंस में रीबिल्डिंग ट्रस्ट वाले विषय से भी मेल खाती है. अब दुनिया में सामाजिक नेतृत्व के खालीपन को भरने में भारत की अग्रणी भूमिका देखने पर ज्यादा लोगों की नजर है. 

एक कॉरपोरेट लीडर ने हमारी चर्चा में ज्यादातर वक्त डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर प्लेटफॉर्म के बारे में सीखने की कोशिश में बिताया. इसे आधार, मोबाइल फोन एक्सेस और 50 करोड़ बैंक खातों के एकीकरण से संभव बनाया जा सका है. इस सिस्टम से न सिर्फ  सरकारी लिक्विडिटी में इजाफा हुआ है, बल्कि दूरदराज के लाखों भारतीयों का भरोसा सिस्टम में भरोसे के लिए मजबूत हुआ है. अब उनको बिचौलियों के हस्तक्षेप के बिना सीधे फायदा पहुंचाया जा रहा है. एक दशक से भी कम समय पहले सरकार द्वारा लॉन्च किए गए यूनिफाइड पेमेंट सिस्टम (UPI) का अब काफी विस्तार हो चुका है और कई विदेशी बाजारों में भी UPI से लेनदेन किया जा रहा है. उन्होंने समावेशन (इंक्लूसिविटी) के लिए इस कवायद को 'असमानांतर' बताया.

"सोलर अलायंस और G-20 पर बातचीत"

माननीय प्रधानमंत्री ने 2015 में सोलर अलायंस प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था. सस्टेनेबिलिटी और देशों के बीच रीबिल्डिंग ट्रस्ट में इसकी भूमिका मेरी कई बातचीतों का विषय बनी. 2030 तक सोलर एनर्जी सॉल्युशंस में 1 ट्रिलियन डॉलर के इन्वेस्टमेंट का लक्ष्य बनाया गया, इसके जरिए 1 अरब लोगों को 1,000 GW सोलर एनर्जी कैपेसिटी के इंस्टॉलेशन से स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित की जानी थी. कभी ये बहुत महत्वकांक्षी लक्ष्य लगता था. अब सस्टेनेबिलिटी पर जबरस्त फोकस और COP 28 की सफलता के चलते ये हमारी पहुंच में दिख रहा है.

 जिस कवायद की शुरुआत 16 देशों ने मिलकर की थी, आज उसमें 117 सदस्य देश हैं. फिर G20 समिट के बारे में भी खूब चर्चा हुई, जहां करीब सभी लीडर्स ने मुझसे कहा कि दिल्ली में G20 का आयोजन अब तक का सबसे शानदार कार्यक्रम था. इसमें न्यू दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन अपनाया गया, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, व्यापार, डिजिटल इकोनॉमी, आतंकवाद और महिला सशक्तिकरण जैसे विषय इसमें शामिल थे. इस सम्मेलन की सबसे बड़ी उपलब्धि अफ्रीकन यूनियन को G20 का स्थायी सदस्य बनाना भी रहा, इस कवायद की पहल भारत ने की थी. ये अफ्रीका और ग्लोबल साउथ के लिए मील का पत्थर है, जिससे वैश्विक प्रशासन और फैसले लेने की प्रक्रिया में हमारी सामूहिक आवाज और प्रतिनिधित्व मजबूत हुई है.

"विश्वास की बहाली के लिए ये कदम जरूरी"

अब जब मैं दावोस छोड़ रहा हूं तो सोच रहा हूं कि ट्रस्ट बुल्डिंग के लिए यही किया जाना चाहिए. भले ही ये बात सुनने में देशप्रेम से प्रेरित लगे, लेकिन भारत के कदम और संदेश बहुपक्षवाद और समावेशन की भावना से मेल खाते हैं. शायद आज दुनिया में किसी भी दूसरे देश के साथ ऐसा नहीं है. ये वो दावोस था, जहां पहुंचे मेरे साथी देशवासी अपना सिर थोड़ा ऊंचा कर वापस लौटेंगे. भारतीय होने के लिए इससे बेहतर वक्त नहीं हो सकता!

Featured Video Of The Day
ICC Arrest Warrants For Israel Benjamin Netanyahu | नेतन्याहू के लिए खतरा बढ़ा, होंगे गिरफ्तार?