बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की आज 132वीं जयंती है. इस अवसर पर देश की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत देश में कई अन्य मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों ने भी भारत को एक विकसित समाज बनाने के बाबा साहब अंबेडकर के प्रयासों को याद किया. अंबेडकर जयंती के अवसर पर समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और चंद्रशेखर आजाद, तो बाबा साहब की जन्मस्थली मध्य प्रदेश के महू पहुंच गए. इस अवसर पर दलित समाज से जुड़े अलग-अलग क्षेत्र के लोगों ने भी आज जुदा अंदाज में बाबा साहब को याद कर अपने-अपने विचार रखे. आइए आपको बताते हैं, सोशल मीडिया पर अंबेडकर जयंती पर हुआ दलित विमर्श...
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल दलित मुद्दों पर खुलकर अपनी बात सोशल मीडिया पर रखते हैं. अंबेडकर जयंती के मौके पर उन्होंने ट्वीट किया- डॉ. अम्बेडकर ने कॉलेजियम प्रणाली को नकारा था! अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा- बाबा साहब का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो चुका है. अब वे विश्व रत्न हैं. आज अमेरिका में 20 से ज़्यादा शहरों में अंबेडकर जयंती मनाई जाएगी. प्रमुख कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र में होगा, जिसमें यूएन के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस भी हिस्सा लेंगे.
इसके साथ ही उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया जर्सी शहर के सिटी कौंसिल हॉल में अमेरिकी अधिकारियों और भारतीय दूतावास के प्रतिनिधि की उपस्थिति में आज अंबेडकर जयंती पर नीला झंडा, जिसके मध्य में अशोक चक्र है और अमेरिकी झंडा लहराया गया. अमेरिका की जर्सी सिटी कौंसिल ने आज बाबा साहब जयंती पर Equality Day मनाया.
एक ट्वीट में दिलीप मंडल ने अमेरिका में जातिवाद पर हो रहे प्रहार का जिक्र किया. उन्होंने लिखा- अमेरिकी जाति के सर्वोच्चतावादियों को कई असफलताओं का सामना करना पड़ रहा है: 23 विश्वविद्यालयों से लेकर कानून, निगमों से लेकर मंदिरों तक, जातिगत भेदभाव के खिलाफ न्याय की जीत हो रही है. दमित जाति सीमित संसाधनों और संख्या के बावजूद दर्द को शक्ति में बदल देती है और जाति वर्चस्ववादियों पर जीत हासिल करती है.
नितिन मेश्राम वरिष्ठ वकील और संवैधानिक मामलों के जानकार ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के भाषण का एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें वह अमेरिकन ड्रीम के बारे में बात कर रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने अमेरिकन ड्रीम से जुड़े कई ट्वीट भी किए.
एक ट्वीट में उन्होंने लिखा- "अमेरिकन ड्रीम अवसर की समानता को बढ़ावा देता है, जबकि जाति व्यवस्था अवसर की असमानता को बढ़ावा देती है. जाति व्यवस्था उच्च जाति के लोगों को बढ़ावा देती है और निचली जाति के लोगों को जीवन के लक्ष्य और खुशी का पीछा करने से रोकती है."
वहीं, एक अन्य ट्वीट में वह लिखते हैं- "द अमेरिकन ड्रीम मेरिटोक्रेसी(योग्यतावादी) के विचार पर आधारित है, जहां कड़ी मेहनत और प्रतिभा के माध्यम से सफलता अर्जित की जाती है. एक जाति व्यवस्था में, व्यक्तियों को उनकी जाति की स्थिति के लिए पूर्वनिर्धारित किया जाता है और वे अपनी क्षमताओं या प्रयासों के बावजूद अपनी सामाजिक स्थिति तक ही सीमित रहते हैं.
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा- @HinduAmerican जाति को भेदभाव की एक संरक्षित श्रेणी के रूप में शामिल करने के खिलाफ लड़ रहा है. इसके अतिरिक्त, यह जातिगत भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करने के लिए #SB403 जैसे कानून के खिलाफ सक्रिय रूप से अभियान चला रहा है.
उन्होंने ट्वीट किया- "एक ओर, यह दावा किया जाता है कि जाति, हिंदू धर्म का अभिन्न अंग नहीं है. दूसरी ओर, यह इसके हटाने के खिलाफ अभियान चलाता है, यह तर्क देते हुए कि यह उनके पहले संशोधन संरक्षण का उल्लंघन करेगा. जाति का निषेध कैसे हो सकता है, यदि यह हिंदू धर्म का "अभिन्न अंग नहीं" है, प्रथम संशोधन संरक्षण का उल्लंघन करता है?"
जातिगत भेदभाव, अत्याचार, गुलामी और गरीबी के खिलाफ अभियान चला रहे 'द दलित वॉइस'(@ambedkariteIND) ने ट्वीट किया- "#इतिहास, जब बाबासाहेब ने 20 मार्च 1927 को अछूतों को पानी पीने के लिए महाड सत्याग्रह किया था, उसी रात सनातनी हिन्दू दलितों की बस्ती में गए और महिलाओं और बच्चों सहित लोगों को बेरहमी से पीटा और अगले दिन 21 मार्च को हिंदुओं ने चावदार तालाब को शुद्ध किया..
इसके साथ ही 'द दलित वॉइस' ने एक वीडियो भी ट्वीट किया, जिसमें बाबा साहब अंबेडकर के मूल दृश्य हैं.
पेशे से वकील, अम्बेडकरवादी और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ.बी.कार्तिक नवायन ने बाबा साहब अंबेडकर की जयंती पर बधाई देते हुए कई वीडियो अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर किये. इनमें एक वीडियो में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ अंबेडकर जयंती सेलिब्रेट कर रहे हैं.
दलित टाइम्स (@DalitTime) ने अंबेडकर जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें अपने दो सालों के संघर्ष और सफर को सांझा किया. आज ही के दिन दलित टाइम्स को दो साल भी पूरे हुए हैं.
अंबेडकर जयंती के अवसर पर समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और चंद्रशेखर आजाद बाबा साहब की जन्मस्थली महू पहुंचे. इस पर दलित टाइम्स ने ट्वीट किया- इन तीन नेताओं का एक साथ बाबा साहब की जन्मस्थली पहुंचने से क्या कोई बड़ा राजनीतिक बदलाव होने की उम्मीद है?
दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ के अध्यक्ष अशोक भारती ने अंबेडकर जयंती पर ट्वीट किया- "बाबासाहेब की धार्मिकता और नैतिक चेतना ने उन्हें लाखों अनुयायियों और प्रशंसकों के साथ सर्वकालिक महान नेता बना दिया. उनके लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि उनके मूल्यों और सिद्धांतों को आत्मसात करना है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर अपना एक लगभग 5 मिनट का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि बाबासाहेब स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के समर्थक थे. भारत के संविधान निर्माता के रूप में हम सभी उनका बहुत सम्मान करते हैं...
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी दलित समाज से आती हैं. उन्होंने अंबेडकर जयंती के अवसर पर कई ट्वीट किए जिसमें उन्होंने संविधान के रचयिता की महत्ता को बताया. उन्होंने ट्वीट किया- अति-मानवतावादी व कल्याणकारी संविधान देकर आधुनिक भारत की मजबूत नींव रखने वाले परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को आज उनकी जयंती पर शत-शत नमन व अपार श्रद्धा सुमन अर्पित। उनका जीवन संघर्ष करोड़ों गरीबों, मजदूरों, वंचितों व अन्य मेहनतकशों के लिए आज भी उम्मीद की किरण.
वहीं, दलित समाज से आने वाले चिराग पासवान ने भी पटना में अंबेडकर जयंती पर कई कार्यक्रमों में भाग लिया. पटना के सैदपुर में भीमराव अंबेडकर छात्रावास द्वारा आयोजित भारत रत्न, बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की जयंती समारोह में शामिल हुए.
इस बीच एक रैपर माही का अंबेडकर पर लिखा गाना 'बापमानुस...' भी यूट्यूब पर काफी सुना गया. अब तक इस रैप सॉन्ग को एक लाख से ज्यादा बार सुना जा चुका है. हालांकि, माही का यह गाना पिछले साल अंबेडकर जयंती पर रिलीज हुआ था, लेकिन इस साल भी ये बाबा साहब की जयंती पर वायरल हो रहा है.