‘मोका’ चक्रवात: कैसे और क्यों रखा जाता है चक्रवातों का नाम

चक्रवात को ऐसा नाम दिया जाता है, जो याद रखने और उच्चारण में आसान हो. आपत्तिजनक या विवादास्पद नाम नहीं रखे जाते. इन नामों को विभिन्न भाषाओं से भी चुना जाता है ताकि विभिन्न क्षेत्रों के लोग उन्हें पहचान सकें. 

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चक्रवात ‘मोका’ का नाम यमन की ओर से प्रस्तावित नामों में से एक है. (प्रतीकात्‍मक)
नई दिल्‍ली  :

बंगाल की खाड़ी में उफान मार रहा नया उष्णकटिबंधीय चक्रवात ‘मोका' इस समय पूरे भारत में सुर्खियों में है. ऐसे में क्या कभी आपने सोचा है कि किसी चक्रवात का नाम किस तरह रखा जाता है? विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, मौसम के पूर्वानुमानकर्ता भ्रम से बचने के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय चक्रवात को एक नाम देते हैं. सामान्य तौर पर, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण क्षेत्रीय स्तर पर नियमों के अनुसार किया जाता है. हिंद महासागर क्षेत्र के लिए 2004 में चक्रवातों के नामकरण के लिए एक सूत्र पर सहमति बनी थी. इस क्षेत्र के आठ देशों बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमा, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड सभी ने कुछ नाम दिए थे, ऐसे में जब भी कोई चक्रवाती तूफान विकसित होता है, तो उसे क्रमिक रूप से एक नाम दिया जाता है. 

चक्रवात को ऐसा नाम दिया जाता है, जो याद रखने और उच्चारण में आसान हो. आपत्तिजनक या विवादास्पद नाम नहीं रखे जाते. इन नामों को विभिन्न भाषाओं से भी चुना जाता है ताकि विभिन्न क्षेत्रों के लोग उन्हें पहचान सकें. 

यमन की ओर से प्रस्‍तावित है 'मोका' नाम  

उदाहरण के लिए चक्रवात ‘मोका' का नाम यमन की ओर से प्रस्तावित नामों में से एक है, जो यमन में कॉफी उत्पादन के लिए मशहूर मछुआरों के एक छोटे से गांव पर आधारित है. इस क्रम में अगला नाम “बिपरजॉय” है, जिसका सुझाव बांग्लादेश ने दिया है. 

सांस्कृतिक महत्व के नाम

हाल के वर्षों में, आईएमडी ने नामों की सूची में सांस्कृतिक महत्व के नामों को शामिल करना शुरू कर दिया है. उदाहरण के लिए ‘अम्फन' नाम, जिसका अर्थ थाई भाषा में आकाश होता है.  2020 में पश्चिम बंगाल में आए एक चक्रवात को यह नाम दिया गया था. 

इसलिए शुरू की गई वर्तमान प्रणाली 

नामकरण प्रणाली समय के साथ विकसित हुई है. शुरुआती वर्षों में, नामों को वर्णानुक्रम के अनुसार चुना जाता था, वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर के आधार पर एक नाम रखा जाता था. हालांकि इस प्रणाली से भ्रम पैदा होता था और नाम याद रखने में कठिनाई होती थी. इसलिए पूर्व-निर्धारित नामों की वर्तमान प्रणाली शुरू की गई. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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