क्रूज ड्रग केस: कोर्ट ने वानखेड़े की याचिका पर व्यापक आदेश जारी करने से इनकार किया

विशेष न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह के व्यापक आदेश पारित नहीं किए जा सकते. हलफनामों में मांगी गई राहत की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए ऐसा कोई व्यापक आदेश पारित नहीं किया जा सकता.

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मुंबई:

एक विशेष अदालत ने सोमवार को कहा कि क्रूज पर मादक पदार्थ (Cruise Drug Case) की जब्ती मामले में एक स्वतंत्र गवाह के हलफनामे (Affidavit) पर अदालतों को संज्ञान लेने से रोकने के लिए वह व्यापक आदेश नहीं दे सकती. गवाह ने हलफनामे में स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े और अन्य पर अभिनेता शाहरुख खान से जबरन वसूली के प्रयास करने का आरोप लगाया है. शाहरुख के बेटे आर्यन इस मामले में एक आरोपी हैं. इससे पहले, एनसीबी और वानखेड़े ने उनके खिलाफ लगे वसूली के आरोपों को लेकर विशेष अदालत में दो अलग-अलग हलफनामे दाखिल किए. इसमें यह आदेश देने का अनुरोध किया गया कि कोई भी अदालत स्वतंत्र गवाह प्रभाकर सैल के हलफनामे का संज्ञान नहीं लें.

एनसीबी और उसके जोनल निदेशक के अनुसार प्रभाकर सैल द्वारा लगाए गए आरोप केवल मामले की जांच को बाधित करने का प्रयास है. केंद्रीय एजेंसी ने अदालत से यह सुनिश्चित करने के लिए उचित आदेश देने का भी अनुरोध किया कि मामले में सबूतों या जांच के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हो. विशेष न्यायाधीश वीवी पाटिल ने हलफनामे का निपटारा करते हुए कहा कि इस तरह के व्यापक आदेश पारित नहीं किए जा सकते. अदालत ने कहा कि आवेदनों (हलफनामों) में मांगी गई राहत की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए ऐसा कोई व्यापक आदेश पारित नहीं किया जा सकता है. यह संबंधित अदालत या प्राधिकरण पर है कि वह संबंधित चरण में उचित आदेश पारित करे. 

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अदालत ने कहा कि यह मामला बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है जो मंगलवार को आर्यन खान (23) और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. इसलिए, अदालत ऐसा कोई आदेश नहीं पारित कर सकती, जैसा अनुरोध किया गया है. इसलिए, आवेदनों का निपटारा किया जाता है. वानखेड़े ने अदालत में दाखिल हलफनामे में उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों से इंकार किया और दावा किया कि उन पर लगातार गिरफ्तारी का खतरा बना हुआ है क्योंकि ईमानदार एवं निष्पक्ष जांच कुछ निर्हित स्वार्थों के अनुकूल नहीं है. वानखेड़े ने यह भी दावा किया कि उन्हें एक मशहूर राजनीतिक हस्ती ने भी निशाना बनाया है और इसके पीछे उनका केवल एक ही कारण समझ आता है क्योंकि एनसीबी ने इस शख्स के दामाद समीर खान को गिरफ्तार किया था.

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समीर खान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता एवं महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के दामाद हैं तथा अभी जमानत पर हैं. 
प्रभाकर सैल ने रविवार को दावा किया था कि एनसीबी के एक अधिकारी और फरार गवाह केपी गोसावी सहित अन्य ने आर्यन खान को छोड़ने के लिए 25 करोड़ रुपये की मांग की थी. सैल ने पत्रकारों से कहा था कि आर्यन को तीन अक्टूबर को एनसीबी कार्यालय लाने के बाद उन्होंने गोसावी को फोन पर सैम डिसूजा नामक एक व्यक्ति से 25 करोड़ रुपये की मांग करने और मामला 18 करोड़ रुपये पर तय करने के बारे में बात करते हुए सुना था, क्योंकि उन्हें आठ करोड़ रुपये समीर वानखेडे (एनसीबी के जोनल निदेशक) को देने थे. सैल ने दावा किया था कि वह जल्द ही सबूत भी पेश करेंगे. एनसीबी और वानखेड़े ने सोमवार को अदालत को सौंपे गए अपने हलफनामे में इन दावों को खारिज किया है. 

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वानखेड़े ने कहा कि वह खुद को बेकसूर साबित करने के लिए जांच का सामना करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में समाज के उच्च वर्ग के कुछ प्रभावशाली और सम्पन्न लोग शामिल हैं, जिस कारण मुझे गिरफ्तारी सहित हर प्रकार की धमकी दी जा रही है. एनसीबी ने हलफनामे में वानखेड़े और अन्य अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपों को पूरी तरह गलत, गुमराह करने वाला, नुकसान पहुंचाने वाला और एनसीबी जैसी स्वतंत्र एजेंसी की छवि खराब करने का प्रयास बताया है. एनसीबी के लिए विशेष लोक अभियोजक अद्वैत सेठना ने सोमवार को अदालत में हलफनामा दाखिल किया. सेठना ने अदालत से कहा कि सैल कुछ सबूतों को सार्वजनिक करने की धमकी दे रहा है, जो मामले की जांच को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए उचित आदेश पारित किया जाना चाहिए. आर्यन अभी मुंबई की आर्थर जेल में बंद है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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