दुनिया इस समय कोरोना की चौथी लहर का सामना कर रही है. भारत के संदर्भ में उन्होंने बताया कि देश में इस समय 19 लाख एक्टिव केस हैं और पिछले सप्ताह रोजाना औसतन 2 लाख 71 हजार केस आए. 1 जनवरी को 2% थी अब 16% पॉजिटिविटी हो गई है.4 दिनों से टेस्ट लगातार बढ़े हैं. ऐसे राज्य जिनको लेकर खास तौर पर चिंता है, उनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल ,दिल्ली और यूपी शामिल हैं. देश में इस समय 50 हजार से ज्यादा एक्टिव केस वाले 11 राज्य, 10 से 50 हजार एक्टिव केस वाले13 राज्य और 10 हजार से कम एक्टिव केस वाले 12 राज्य हैं.515 ज़िले में पॉजिटिविटी 5% से ज़्यादा है.
दिल्ली में दूसरी लहर और तीसरी लहर के दौरान मामलों की तुलना करते हुए राजेश भूषण ने कहा, 'दूसरी लहर की तुलना में तीसरी लहर में जो मरीज अस्पताल में एडमिट हो रहे हैं वो बहुत कम हैं. तीसरी लहर के दौरान 18 साल से ऊपर 99% को बुखार, खांसी की शिकायत है. इसके अलावा थकावट और मस्कुलर weakness है. मरीज आमतौर पर पांच दिन में ठीक हो रहे हैं. दिल्ली में देखा गया कि 11 से 18 साल के बच्चों में फीवर कॉमन है. इंफेक्शन, लंग्स या फेफड़े में नहीं जा रहा है.
विश्व में आए कोविड मामलों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह ही विश्व में रोजाना औसतन चौथी लहर 29 लाख मामले रिपोर्ट किए गए. यह बात स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने गुरुवार को नियमित मीडिया ब्रीफिंग के दौरान दी. उन्होंने बताया कि अफ्रीका में पिछले 4 हफ्ते से मामले घट रहे हैं लेकिन एशिया में मामले बढ़े हैं और चार हफ्तों में 8% से बढ़कर 18% हो गए हैं. इसी तरह यूरोप में पिछले 4 हफ्तों में 38% मामले आए हैं. नॉर्थ अमेरिका में पिछले 4 हफ्तों में 28 से 30% मामले सामने आए हैं. आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा, 'दूसरी लहर में जैसे टेस्ट हो रहे थे, वैसे ही हो रहे हैं.टेस्टिंग किट की कमी नहीं है. होम टेस्टिंग बढ़ी है. 20 दिन में 2 लाख होम टेस्टिंग हुई है. गंभीर बीमारी और मौत इस लहर में कम दिख रही है.उन्होंने कहा कि Comorbidity (गंभीर बीमारी )वालों का ज्यादा ख्याल रखने की ज़रूरत है. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि टीके की वजह से मौत कम हुई हैं. हालांकि पूरे देश की पॉजिटिविटी बहुत ज्यादा है.वायरस का जोर है, पूरी तैयारी से इसका जवाब देना हमारा मिशन है. मौत के आंकड़े कम हैं लेकिन comorbidity में इसको लेकर फिक्रमंद हैं. 15 से 18 वर्ष की आयु वालों को 52% कवरेज दिया जा चुका है. 6.5 करोड़ लोगों की दूसरी डोज बची है, पहले कभी ये आंकड़ा 10 करोड़ था. उन्होंने कहा कि टेस्टिंग, मेडिसिन की दिक्कत नहीं है.