Explainer: भारत में जाग उठे कोरोना के दो वैरिएंट NB.1.8.1 and LF.7, जानें ये कितने खतरनाक?

COVID Cases Rise in India: भारत में एक बार फिर बढ़े कोरोना के मामले, एक्टिव मामलों की संख्या 1000 के पार चली गई है. यहां जानिए भारत में मिले कोरोना के नए वैरिएंट कितने खतरनाक हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
COVID Cases Rise in India: भारत में एक बार फिर बढ़े कोरोना के मामले

COVID Cases Rise in India: भारत में एक बार फिर कोरोना (COVID-19 वायरस) के मामले बढ़ने लगे हैं. कोरोना के एक्टिव केस 1,000 के आंकड़े के पार है. नोएडा में भी 9 नए मामले आए हैं. आधिकारिक डेटा से पता चलता है कि पिछले सप्ताह में वायरस के कारण कम से कम सात मौतें हुई हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत स्थापित भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के डेटा के अनुसार इस समय देश में कोरोना वायरस के दो वैरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 - JN.1 भी पाए गए हैं. ऐसे में कई लोगों के मन में ख्याल आ सकता है कि यह दोनों वैरिएंट कितने खतरनाक हैं. चलिए हम आपको इस सवाल का जवाब देते हैं. सबसे पहले आपको संक्षेप में इन मामलों के अपडेट बताते हैं.

  • INSACOG के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में तमिलनाडु में NB.1.8.1 का एक मामला पाया गया था, जबकि मई में गुजरात में LF.7 के चार मामले सामने आए थे.
  • अब तक, 22 अलग-अलग देशों के ग्लोबल जीनोम डेटाबेस में NB.1.8.1 वैरिएंट के 58 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और सिंगापुर शामिल हैं. अमेरिका में, कैलिफ़ोर्निया, वाशिंगटन, वर्जीनिया और न्यूयॉर्क जैसे राज्यों में एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के दौरान इस वैरिएंट की पहचान की गई थी.

कोरोना वायरस के NB.1.8.1 और LF.7 - JN.1 वैरिएंट क्या हैं?

इसे जानने के लिए आपको पहले वैरिएंट का मतलब समझना होगा. दरअसल फैलने के लिए एक वायरस किसी होस्ट (इंसान या जानवर) को संक्रमित करता है, वह अपनी बहुत साली कॉपी बनाता है. जब कोई वायरस अपनी कॉपी बनाता है, तो वह हमेशा अपनी एक सटीक कॉपी तैयार करने में सक्षम नहीं होता है. इसका मतलब यह है कि, समय के साथ, वायरस अपने जीन सीक्वेंस (जिन कैसे लाइन में लगे हैं) में थोड़ा अलग होना शुरू कर सकता है. इस प्रक्रिया के दौरान उस वायरस के जीन सीक्वेंस में किसी भी परिवर्तन को म्यूटेशन के रूप में जाना जाता है, और इन नए म्यूटेशन (नए या अलग जीन सीक्वेंस वाले वायरस) वाले वायरस को ही वेरिएंट कहा जाता है. वेरिएंट एक या एक से अधिक म्यूटेशन से भिन्न हो सकते हैं.

अब वापस आते हैं कोरोना वायरस के दो वैरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 - JN.1 पर. NB.1.8.1 और LF.7 दोनों कोरोना के JN.1 वैरिएंट में बदलाव होने से बने हैं आनी वे उप-वंशावली हैं. अभी भारत में सबसे अधिक फैलने वाला वैरिएंट JN.1 ही है. सभी मालूम चले कोरोना मामलों के सैंपल में 53% JN.1 वैरिएंट के ही हैं. इसके बाद BA.2 (26 प्रतिशत) और अन्य ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) का स्थान है.

Advertisement
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि ये उप-वेरिएंट 'निगरानी के तहत वैरिएंट' हैं. जिसका अर्थ है कि उनमें ऐसे म्यूटेशन हैं जो वायरस के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन उन्हें अभी तक इन्हें 'चिंता के वैरिएंट' या 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है.

कोरोना वायरस के NB.1.8.1 और LF.7 - JN.1 वैरिएंट कितने खतरनाक?

WHO के इन वैरिएंट को लेकर उनके जोखिम का जो शुरुआती मूल्यांकन किया है, उसके अनुसार, NB.1.8.1 वैरिएंट दुनिया भर में कम सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है. फिर भी इसमें A435S, V445H, और T478I जैसे स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन है. यह दिखाता है कि यह अन्य वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैल सकता है और शरीर के इम्यून सिस्टम (रोगों से लड़ने की क्षमता) को मात दे सकता है.

Advertisement

शुरुआती रिपोर्टों से पता चलता है कि NB.1.8.1 और LF.7 के संक्रमण से सामान्य फ्लू या हल्के COVID-19 के समान लक्षण होते हैं. अधिकांश रोगी अस्पताल में एडमिट हुए बिना घर पर ही जल्दी ठीक हो जाते हैं. यह डेल्टा जैसे पहले के वेरिएंट के उल्टा है, जो अधिक गंभीर बीमारी और उच्च मृत्यु दर का कारण बनता है, खासकर बिना टीकाकरण वाले लोगों में या उनमें जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी चिंता की बात नहीं है, ICMR चीफ ने कहा हम पूरी तरह तैयार

Advertisement
Featured Video Of The Day
Rajnath Singh On PoK: वो दिन दूर नहीं जब POK हमारा होगा - राजनाथ सिंह | India Pakistan Conflict
Topics mentioned in this article