Covid-19: ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के रास्ते में रुकावट, निजी अस्पतालों ने पूछा- खर्च और जगह कहां से लाएं?

महाराष्ट्र में कोरोना महामारी की नई लहर से सामना करने की तैयारी में 50 बेड से ऊपर वाले निजी अस्पतालों को अपना खुद का ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने का निर्देश दिया गया है.

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ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के रास्ते में आ रही रुकावट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुंबई:

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में लोगों को ऑक्सीजन की कमी के चलते भारी समस्याओं से जूझना पड़ा था. कई राज्यों में ऑक्सीजन की किल्लत सामने आई थी. इसे देखते हुए महाराष्ट्र में महामारी की नई लहर से सामना करने की तैयारी में 50 बेड से ऊपर वाले निजी अस्पतालों को अपना खुद का ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने का निर्देश दिया गया है. लेकिन ज़्यादातर निजी अस्पताल ऐसा करने में असमर्थता जता रहे हैं. अस्पतालों में जगह की कमी तो है ही, साथ ही खर्च की भी समस्या है. लाखों का खर्च, जगह की कमी और इससे निकलने वाली तेज़ आवाज.. इन तीन बड़े कारणों से मुंबई के निजी अस्पताल ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट नहीं लगा पा रहे.

मुंबई में लायंस क्लब अस्पताल के डॉ. सुहास देसाई ने कहा, ''हमारा अस्पताल 50 बेड से ऊपर का है, हमें भी कहा गया है की आप अपना ऑक्सिजन प्लांट लगाने के बारे में सोचिए, लेकिन इसके सेटअप में कई बाधाएं हैं. सबसे पहला कॉस्ट, इसमें मिनमम 50-70 लाख का खर्चा है. दूसरा.. मेंटेनेंस, बिजली खर्चा, तीसरी दिक़्क़त है जगह, जिसकी कमी मेट्रो सिटीज़ में काफ़ी है, और चौथी इससे बहुत आवाज़ होती है, जो अस्पताल परिसर में ठीक नहीं. तो इन सारे हर्डल्ज़ को देखते हुए हम दुविधा में हैं और अभी इसको होल्ड पर रखा है. देखेंगे आगे नई लहर में मरीज़ की तादाद कितनी रहती है, उसके हिसाब से तय करेंगे.''

दक्षिण मुंबई के भाटिया अस्पताल ने भी कुछ ऐसी ही मजबूरी बताई है. भाटिया हॉस्पिटल के सीईओ डॉ. राजीव बौधनकर ने कहा, ''हमारे हॉस्पिटल ने ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट नहीं लगाया है. इसका कारण ये है की हम साउथ मुंबई में हैं और यहां जगह की बहुत कमी है. दूसरा कारण है की इसका खर्चा क़रीब एक करोड़ तक हो जाता है. एक ग़लतफ़हमी ऐसी भी है की कोविड में निजी अस्पतालों की कमायी काफ़ी बढ़ गयी है, ये सरासर ग़लत है. हमारे रेवेन्यू पर काफ़ी गैप आ गया है, 80% बेड रिजर्व हैं, बाक़ी ख़र्चों पर भी कैपिंग है.''

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बता दें कि अप्रैल महीने में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मुंबई समेत पूरा महाराष्ट्र ऑक्सीजन की क़िल्लत से गुज़रा. राज्य की ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता 1200 से 1300 टन रोज़ रही, जबकि दूसरी लहर के दौरान ज़रूरत थी क़रीब 1900 टन की. तीसरी लहर से जंग के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 50 बेड से ऊपर वाले अस्पतालों को अपना ऑक्सिजन जेनरेशन प्लांट लगाने का सुझाव दिया है. लेकिन, कई जटिलताओं की वजह से निजी अस्पताल असमर्थता जता रहे हैं. वहीं, तीसरी लहर को देखते हुए, बीएमसी के अस्पतालों और कोविड जंबो सेंटर में ऐसे ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाए जाने की क़वायद जारी है.

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