ओमिक्रॉन वेरिएंट के डर और कोविड की तीसरी लहर की आशंका के बीच देश में कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज़ (Covid Vaccine Booster Dose) को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं. बहुत से देश हैं जो अपने नागरिकों को अब बूस्टर शॉट लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. बूस्टर शॉट कोविड के खिलाफ इस्तेमाल में आ रहीं वैक्सीन के तीसरे डोज को कहा जा रहा है. भारत में बूस्टर शॉट को लेकर सरकार की रणनीति अभी स्पष्ट नहीं है. लेकिन जल्द ही सरकार का रुख स्पष्ट हो जाएगा. दरअसल, केंद्र सरकार कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज को लेकर जल्द एक स्टडी शुरू कर रही है. शुक्रवार को सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है.
सूत्रों के मुताबिक, इस स्टडी में कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके 3,000 लोगों पर को बूस्टर शॉट देकर नतीजों का अध्ययन किया जाएगा. यह स्टडी THSTI (ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट) में होगी. THSTI डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक के तहत आता है.
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बता दें कि अभी हाल ही के कुछ शोधों में ये निष्कर्ष निकला है कि भारत में लग रही कोरोना वैक्सीन Covishiled का असर दोनों डोज लेने के तीन महीने बाद कम हो जाता है. इससे पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता इस अंतराल के बाद कम हो जाती है. लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया था कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीके की दोनों खुराक से पैदा हुई सुरक्षा दो-तीन महीने बाद कम हो जाती है.
ब्राजील और स्कॉटलैंड के आंकड़ों से निकाले गए निष्कर्षों से यह पता चला था कि एस्ट्राजेनेका टीका लगवा चुके लोगों को गंभीर रोग से बचाने के लिए बूस्टर खुराक की जरूरत है. एस्ट्राजेनेका टीके को ही भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है.
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अभी इसी हफ्ते दिल्ली सरकार ने राजधानी में ओमिक्रॉन के प्रसार को लेकर एक मीटिंग की थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि केंद्र सरकार को देश में ओमिक्रॉन की लहर की आशंका के बीच बूस्टर डोज की अनुमति देनी चाहिए.