'जब बेहद ज़रूरी हो, तभी घर से निकलें' - कोरोना के बढ़ते केसों के बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री की अपील

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने सभी से ये अपील की है कि बहुत ज़रूरी हो तभी घर से निकलें और कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन करें. मास्क ज़रूर लगाएं.

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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कोरोना से जुड़े हर सवाल का दिया जवाब.
नई दिल्ली:

देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार को एक दिन में 13,468 कोरोना के नए मामले दर्ज किए गए थे. यह पूरे देश में केवल एक शहर में सबसे ज्यादा मामले हैं. बुधवार को पूरे देश में 1.84 लाख कोविड मामले आए हैं. लगातार चार दिन से देश में मामले 1.5 लाख से ऊपर आ रहे हैं और आठ दिन से एक लाख से ज्यादा कोविड मामले सामने आ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में पूरे देश में  कोरोना वायरस के 1,84,372  नए केस दर्ज किए गए हैं, वहीं इस दौरान 1,027 लोगों की मौत कोविड की वजह से हुई है. पूर देश में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 60,212 लोग संक्रमित हुए हैं. वहीं दूसरे नंबर पर यूपी में  17,963, छत्तीसगढ़ में 15,121, दिल्ली में 13,468 और मध्य प्रदेश में 8,998 नए मामले सामने आए हैं. मौत के आंकड़ों की बात करें तो इस दौरान महाराष्ट्र में 281, छत्तीसगढ़ में 156, यूपी में 85, दिल्ली में 81 और गुजरात में 67 लोगों की मौत कोरोना वायरस से हुई है.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि 1 लाख 2 हज़ार से ज़्यादा टेस्ट किये गये और 13.14% पॉजिटिविटी थी. देश मे 1 लाख 85 हज़ार के करीब केस आये हैं  पूरी दिल्ली में और देश मे कोरोना के केस बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं. कम नहीं हो रहे, रोज़ाना बढ़ते जा रहे हैं. सभी से ये अपील है कि बहुत ज़रूरी हो तभी घर से निकलें और कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन करें. मास्क ज़रूर लगाएं. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने इसके अलावा कोरोना से जुड़े एक मुद्दे के सवालों के जवाब दिए.

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मौत के आंकड़े
पिछले कुछ हफ्तों से हर हफ्ते मामले डबल हो ही रहे हैं, देश में भी और दिल्ली में भी.  पिछली बार जितनी संख्या में केस थे नवम्बर में 2-3% डेथ रेट था. दुखद है लेकिन आंकड़ा यही कह रहा है कि अभी भी आधा प्रतिशत से कम हो रही है. 

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बेड्स की किल्लत-
अगर आप एप में देखेंगे तो पिछले हफ्ते 6 हज़ार बेड थे अब 13 हज़ार से भी ज़्यादा बेड हैं. हम लगातार बेड की संख्या बढ़ा रहे हैं परसों बेड बढ़ाने के आर्डर जारी किए थे. उसको लागू होने में 3-4 दिन लग जाते हैं. पूरे देश के लिहाज से देखें तो किसी भी प्रदेश में जितने अधिकतम कोविड बेड हैं उसके दुगुने से भी ज़्यादा दिल्ली में बेड हैं.

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वेंटिलेटर की कमी-
कोरोना में शुरुआत में लगता था कि वेंटिलेटर भी प्राइमरी हेल्थ टूल है. लेकिन ऐसा नहीं है, वेंटिलेटर बिल्कुल आखिरी टूल है. उससे पहले कई लेवल है. पहले आपको होम आइसोलेशन में रखा जाता है दवाई पर रखा जाता है, फिर ऑक्सिजन लगाई जाती है. उसके बाद HFNo और BiPap है. वेंटिलेटर बिल्कुल आखिरी चरण है, ये बेसिक ट्रीटमेंट नहीं है. वेंटिलेटर के बेड बहुत सारे हैं तो वो एप में भरा हुआ दिखाई देता है लेकिन वेंटिलेटर की कमी बिल्कुल नहीं है.

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एप पर जो डेटा है उससे अलग स्तिथि है ग्राउंड पर-
ऐसा बिल्कुल नहीं है, इस पर हम नज़र बनाये हुए हैं. एप में डेटा दिन में कम से कम 2 बार रिवाइज होता है. हो सकता है जिस समय आपने 40 बेड देखे उस वक्त बीच मे 5-7 मरीज़ और भर्ती हो गए. LNJP में  एक दिन में 70-80 नए मरीज़ एडमिट हो रहे हैं. राजीव गांधी में कल रात में 70 से ज़्यादा मरीज़ सिर्फ रात में एडमिट हुए हैं. वह डेटा अपडेट होने में समय लग जाता है.

किसी को एक जगह बेड नहीं मिल रहा तो दूसरी जगह कैसे भेजा जाए
मुझे लगता है कि एप देखकर ही जाएं, सबके फोन नम्बर दिए गये हैं. जाने से पहले फोन कर लें.

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कई अस्पतालों के हेल्पलाइन नम्बर पर बेड के लिए फोन नहीं उठता
आप लोगों को फोन नहीं करना चाहिए. बहुत सारे पत्रकार फोन कर देते हैं वो मरीज़ की डिटेल पूछते हैं तो उन्हें पता लग जाता है कि ये फर्जी कॉल है. जो मरीज़ हैं वही कॉल करें तो बेहतर है. नोएडा में किसी भी प्राइवेट अस्पताल में आप एक भी मरीज को एडमिट करा कर दिखाया दें. दिल्ली में हम सबको एडमिट करा रहे हैं. दिल्ली के भी और दिल्ली से बाहर के भी.

केंद्र के अस्पतालों में क्या बेड बढ़ाये गये-
अभी केंद्र के अस्पताल में बेड नहीं बढ़े हैं, उनसे दोबारा कल बात की है और आग्रह किया गया है. पिछली बार जब पीक आया था उस वक्त 4100 बेड केंद्र के थे, इस बार 1100 बेड हैं.

क्या दोनों सरकारों में तालमेल की कमी है-
ऐसा नहीं है. रोजाना मिलजुल कर ही बात होती है सब कुछ पर चर्चा होती है. क्योंकि इस बार केस बहुत तेजी से बढ़े हैं तो दिल्ली सरकार ने अपने अस्पतालों में बेड तेजी से बढा दिए हैं, केंद्र के अस्पतालों में भी बढ़ाये जा रहे हैं. उन्होंने मना नहीं किया है, कहा है जल्द बढा देंगे.

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सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर क्या दोबारा खुलेगा-
अबकी बार जरूरत या तो हॉस्पिटल की पड़ रही है या फिर लोग घर पर रहना पसंद कर रहे हैं. बीच में जो रेलवे बोगी वाला सिस्टम था या जो कोविड केयर सेंटर है, उनकी ज़रूरत पड़ रही है. कोविड केयर सेंटर में कल 5525 बेड हैं. जिसमें से सिर्फ 286 भरे हुए हैं.

होटल और बैंक्वेट को क्या अटैच कर दिया गया है
होटल और बैंक्वेट हाल को हॉस्पिटल से अटैच करने का आदेश आज शाम तक जारी हो जाएगा.

किसी भी शहर में अभी तक 13 हजार केस नहीं आये 
किसी भी शहर में आज तक जितने भी टेस्ट हम कर रहे हैं नहीं किए गए. दिल्ली में लगातार एक लाख से ज्यादा टेस्ट हम कर रहे हैं जो कि किसी भी शहर के हिसाब से दोगुने से भी ज्यादा है. हम बिल्कुल पारदर्शिता बरत रहे हैं जो भी कर रहे हैं सबके सामने कर रहे हैं टेस्टिंग 1 लाख से ऊपर कर रहे हैं जिसमें से 70% rt-pcr हैं.

बेवजह अस्पताल की ओर न जाएं-
यह बिल्कुल सही है जैसे ही किसी को बुखार रहता है वह पॉजिटिव होता है तो तुरंत अस्पताल की ओर चल देते हैं इसमें आपको भी दिक्कत है और हॉस्पिटल को भी दिक्कत है. जब तक सीरियस ना हो तब तक ना जाए बुखार कोई बहुत बड़ा लक्षण नहीं है. अगर आप डॉक्टर से बात करें तभी एडमिट कराएं जब जरूरत . 90% से ज्यादा लोग घर में आइसोलेशन में ठीक हुए हैं सब लोग अगर अस्पताल में जाएंगे तो ज्यादा बीमार लोगों को बेड नहीं मिलेगा यह मैं बिल्कुल अपील करता हूं कि अस्पताल में तभी जाएं जब आपको जरूरत हो.

क्या गैर जरूरत वाले मरीजों को अस्पताल से वापस भेजा जा रहा है
कुछ जगहों पर हम मरीज़ को कोविड केयर सेंटर में भेज देते हैं. कई लोगों का कहना है कि कोविड केयर सेंटर से अच्छा हम घर पर रह लेते हैं. ऐसे मामले आते हैं.

टेस्ट की रिपोर्ट कई दिन तक पेंडिंग आ रही है
टेस्टिंग 2 तरह से कर रहे हैं रैपिड की रिपोर्ट उसी समय आधे घंटे में बता दी जाती है. जो रैपिड में पॉजिटिव नहीं आता है और उसमें लक्षण है तो उसका rt-pcr भी करते हैं. टेस्ट की रिपोर्ट ज्यादातर 24 घंटे के अंदर आ रही है, अगर ऐसी कोई शिकायत है तो उसको जल्द से जल्द ठीक करा दिया जाएगा.

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लॉकडाउन को लेकर लोगों में डर है
यह क्राइसिस का समय है इसलिए सबको मिलकर कोरोना को हराना है.  इस सदी के अंदर पहली बार इस तरह की महामारी आई है. पहले स्पेनिश फ्लू के नाम से आया था और इस बार कोविड-19 के नाम से. यह छोटी मोटी चीज नहीं है. कुछ लोगों को बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा है. लेकिन थोड़ा सा तो डरना चाहिए कुछ लोग मास्क तक नहीं लगाते उनको पार्टी भी करनी है.  एक दो महीने के लिए अगर हम कुछ चीजों से बच जाते हैं. अनावश्यक रूप से इधर उधर ना जाए सुरक्षा का पालन कर लें तो हम इससे पार पा लेंगे. कुछ लोगों को लगता है कि वह बहुत सेहतमंद है और कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ लेगा. हो सकता है कि वह सही है लेकिन अगर आप पॉजिटिव हो गए और संक्रमण घर में आए तो माता-पिता और बच्चों तक फैल सकता है.

महाराष्ट्र के लॉकडाउन के बाद दिल्ली में भी डर है
पिछली बार लॉकडाउन लगाकर देखा था. लॉकडाउन से जो सबसे बड़ी सीख मिली वो यह कि अगर आप मास्क लगाएंगे तो इससे बच सकते हैं. कुछ लोगों का सोचना है कि हमने वैक्सीन लगवा ली अब हमें मास्क की जरूरत नहीं है. लेकिन किसी ने ऐसा नहीं कहा अगर आपने वैक्सीन लगवा भी ली है तो भी आपको मास्क जरूर पहनना है.

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