भाजपा (BJP) के पूर्व विधायक संगीत सोम (Sangeet Som) को धारा 144 के उल्लंघन का दोषी पाया गया है. संगीत सोम को गौतमबुद्ध नगर कोर्ट ने दोषी करार दिया है और उन्हें धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत घोषित आदेश की अवज्ञा) के तहत दोषी ठहराया गया है. कोर्ट ने उन पर 800 रुपये का जुर्माना लगाया है और इस मामले का निपटारा कर दिया है. पूर्व विधायक संगीत सोम ने सितंबर 2015 में अखलाक लिंचिंग मामले के बाद चर्चाओं में आए थे.
साल 2015 में दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोमांस की अफ़वाह पर 52 साल के अख़लाक़ की भीड़ ने हत्या कर दी थी. बीजेपी के तत्कालीन विधायक संगीत सोम इसके बाद बिसहड़ा पहुंचे थे. उन्होंने वहां तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया था कि इस हत्या की जांच एकतरफा हो रही है. बीजेपी नेता सोम ने कहा था, '(अखलाक का) परिवार यहां नहीं है. उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें विमान में बिठा कर ले गई. पहले वह मुज़फ्फरनगर दंगों के आरोपियों को जहाज में बिठा कर ले गए थे... वैसा ही उन्होंने अब गाय काटने वालों के साथ किया है.'
इस दौरे के दौरान इलाके में निषेधाज्ञा लगी होने के बावजूद सोम ने गांव के मंदिर के बाहर एक जनसभा को भी संबोधित किया था. उन्होंने कहा था, 'बीजेपी पूरे देश की जनता के साथ है, ना कि किसी एक समुदाय-विशेष के साथ. उत्तर प्रदेश सरकार ही है, जो राजनीति कर रही है. पूरी जांच एकतरफा हो रही है.'
संगीत सोम पर मुज़्जफरनगर दंगों की आग में भी घी डालने का आरोप था. सरधाना के पूर्व विधायक संगीत सोम पर आरोप था कि उन्होंने भड़काऊ भाषण और एक फर्ज़ी वीडियो अपलोड करके 2013 में मुज़्जफरनगर के दंगों में आग में घी डालने का काम किया था. इस दंगे में करीब 60 लोग मारे गए थे और कई हज़ार हिंसा की वजह से बेघर हो गए थे.
दिल्ली से सटे यूपी में दादरी के बिसहड़ा गांव में भीड़ ने एक वायुसेना कर्मी के 50 वर्षीय पिता की पीट-पीटकर इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि यह अफवाह उड़ी थी कि उसने और उसके परिवार ने गोमांस खाया और घर में रखा था. इस अफवाह के बाद गांव वाले मोहम्मद इखलाक और उसके बेटे को घर से बाहर घसीटकर लाए थे और उन्हें ईंटों से जमकर पीटा. इस घटना में इखलाक की मौत हो गई थी, वहीं उसका 22 साल का बेटा दानिश बुरी तरह घायल हो गया था. उसकी दो मस्तिष्क सर्जरी की गई थीं.
मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के मामले में BJP के संगीत सोम को राहत, खत्म हुआ मुकदमा