लालू के सहयोगी अमित कात्याल की अंतरिम जमानत रद्द करने से अदालत का इनकार

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, 'इन अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों में, यह अदालत प्रतिवादी को दिनांक 05.02.2024 के आदेश के तहत दी गई चार सप्ताह की अंतरिम जमानत को रद्द करना उचित नहीं मानती है.'

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नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय रेलवे में कथित ‘नौकरी के बदले जमीन' घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी अमित कात्याल को चिकित्सा आधार पर दी गई चार सप्ताह की अंतरिम जमानत रद्द करने से मंगलवार को इनकार कर दिया.

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि अंतरिम जमानत को आगे बढ़ाने के लिए आरोपी की याचिका निचली अदालत के समक्ष लंबित है. न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय वहां अपनी शिकायतें उठाने के लिए स्वतंत्र होगा और उससे कानून के अनुसार निपटा जाएगा.

न्यायाधीश ने दर्ज किया कि कात्याल को पांच फरवरी को अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद छह फरवरी को न्यायिक हिरासत से रिहा किया गया था और राहत पर सवाल उठाने वाली वर्तमान याचिका ईडी द्वारा तब दायर की गई जब चार सप्ताह की अवधि समाप्त होने वाली थी.

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, 'इन अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों में, यह अदालत प्रतिवादी को दिनांक 05.02.2024 के आदेश के तहत दी गई चार सप्ताह की अंतरिम जमानत को रद्द करना उचित नहीं मानती है.'

ईडी ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि जैसा कि आरएमएल अस्पताल के चिकित्सकों की राय है, कात्याल का इलाज सरकारी अस्पतालों में किया जा सकता है और उनकी स्थिति को उचित उपचार और दवा के साथ प्रबंधित किया जा सकता है.

अदालत ने कहा कि उन्हें अंतरिम जमानत देते समय, तिहाड़ जेल में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी द्वारा अग्रेषित रिपोर्ट के अलावा कोई चिकित्सीय राय नहीं थी और निचली अदालत ने हृदय रोग, मोटापे और अन्य जटिलताओं के चलते आरोपी को राहत दी.

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अदालत ने आदेश में कहा, 'हालांकि, इस अदालत को जिरह के दौरान सूचित किया गया कि प्रतिवादी की ओर से दायर अंतरिम जमानत बढ़ाने के अनुरोध वाली एक याचिका निचली अदालत के समक्ष लंबित है. यदि ऐसा है, तो प्रवर्तन निदेशालय याचिकाकर्ता की चिकित्सा स्थिति के बारे में आरएमएल अस्पताल से प्राप्त चिकित्सा राय के मुद्दे को निचली अदालत के समक्ष उठाने के लिए स्वतंत्र होगा.''

कात्याल को ईडी ने 11 नवंबर, 2023 को धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था. केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया कि कात्याल ने राजद प्रमुख एवं पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद की ओर से नौकरी के इच्छुक कई अभ्यर्थियों से जमीन हासिल की थी.

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ईडी ने दावा किया है कि कात्याल एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के निदेशक थे, जिसने अभ्यर्थियों से लालू प्रसाद की ओर से जमीन हासिल की थी. इस मामले में राजद प्रमुख प्रसाद के परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी आरोपी हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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