यूपी में असदुद्दीन ओवैसी की कार पर फायरिंग केस के 2 आरोपियों को कोर्ट ने जमानत दी

अदालत ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करने के बाद जांच अधिकारी द्वारा व्यक्त की गई राय के आधार पर ही उन्हें अपराध से जोड़ा गया था.

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन दो व्यक्तियों को जमानत दे दी है, जिन्होंने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान लोकसभा सांसद (सांसद) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के वाहन पर कथित तौर पर गोलियां चलाई थीं. न्यायाधीश पंकज भाटिया ने आरोपियों को जमानत देते हुए कहा कि आरोपियों सचिन शर्मा और सुभम गुर्जर का नाम प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में नहीं था.

अदालत ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करने के बाद जांच अधिकारी द्वारा व्यक्त की गई राय के आधार पर ही उन्हें अपराध से जोड़ा गया था. अदालत ने आगे कहा कि आवेदकों को संबंधित अपराध से जोड़ने वाले साक्ष्य प्रथम दृष्टया कमजोर साक्ष्य हैं.

अदालत ने कहा, ''सीसीटीवी फुटेज में दिखे लोगों की पहचान की पुष्टि और वास्तविक तस्वीरों से मिलान की सामग्री प्रथम दृष्टया केस डायरी से गायब प्रतीत होती है. इस प्रकार, आवेदकों को विचाराधीन अपराध से जोड़ने वाले साक्ष्य इस स्तर पर प्रथम दृष्टया कमजोर सूबत हैं." कोर्ट ने यह भी कहा कि अब तक दर्ज किए गए तीन बयानों में आरोपियों के नाम सामने नहीं आए हैं और पीड़ित और उसके साथ कार में मौजूद दो लोग आरोपियों को नहीं जानते थे.

हालांकि, पीड़ित ने अपने वकील के माध्यम से अदालत के समक्ष एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया. आवेदन में कहा गया कि एक आरोपी ने 2022 में जमानत मिलने के बाद मीडिया के सामने शेखी बघारी थी कि उसे कोई पछतावा नहीं है और वह बिल्कुल भी माफी नहीं मांगेगा. हालांकि, न्यायालय ने कहा कि साक्षात्कार "प्रथम दृष्टया टेलीमीडिया के समक्ष आवेदक नंबर 1 द्वारा दिए गए भाषण या साक्षात्कार के दायरे में प्रतीत होता है और इसमें यह सुझाव देने के लिए और कुछ नहीं है कि आवेदक द्वारा पीड़ित को वास्तविक धमकी जारी की गई थी." .

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान उत्तर प्रदेश के हापुड जिले के पिलखुवा में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की कार पर गोलियां चलाई गईं.

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