कब-कब न्याय की कुर्सी पर लगे दाग: भारत में जजों पर भ्रष्टाचार के 5 बड़े मामले, जानिए यहां

जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला पिछले हफ्ते तब चर्चा में आया, जब उनके दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में आग लग गई। सूत्रों के अनुसार, जस्टिस वर्मा उस समय शहर से बाहर थे, और उनके परिवार ने फायर ब्रिगेड को बुलाया. आग बुझाने के बाद दमकल कर्मियों को एक कमरे में भारी मात्रा में नकदी मिली.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

भारत में 75 साल के इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं जब  न्यायपालिका पर  भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने की घटना ने एक बार फिर इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया. आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड को उनके घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबर ने देश भर में हंगामा मचा दिया. इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का फैसला लिया, और अब मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उनके खिलाफ जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठन की है. यह पहला मौका नहीं है जब जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. आइए जानते हैं ऐसे कुछ 5 मामलों के बारे में जिसमें जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. 

  • पहला उदाहरण 2009 का है, जब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस निर्मल यादव पर 15 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा. इस मामले में एक वकील ने दावा किया कि उसने गलती से रिश्वत की राशि गलत जज के घर भेज दी थी, जिसके बाद यह घोटाला उजागर हुआ.
  • मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी.डी. दिनाकरण पर तमिलनाडु में अवैध जमीन अर्जन और संपत्ति संचय के आरोप लगे. उनके खिलाफ 16 शिकायतें दर्ज की गईं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनकी सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति रोक दी. जांच के दबाव में उन्होंने 2011 में इस्तीफा दे दिया था.
  • तीसरा उदाहरण 2017 का है, जब कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस सी.एस. कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के कई जजों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए. उनके खिलाफ अवमानना का मामला चला, और उन्हें छह महीने की जेल हुई. 
  • चौथा मामला 2018 का है, जब सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर मनमाने ढंग से केस बांटने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में अभूतपूर्व घटना थी. 
  • पांचवां उदाहरण 2021 का है, जब बॉम्बे हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज पर रिश्वत लेकर फैसले देने के आरोप लगे, हालांकि यह मामला जांच के अभाव में ठंडे बस्ते में चला गया. 

जस्टिस वर्मा केस ने इन पुराने घावों को फिर से कुरेद दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायपालिका में जवाबदेही की कमी और पारदर्शिता का अभाव इन समस्याओं को बढ़ावा देता है. जजों के खिलाफ महाभियोग ही एकमात्र संवैधानिक उपाय है, लेकिन अब तक इसका सफल इस्तेमाल नहीं हुआ. 

'अधजली नोटों की गड्डियां मेरी नहीं...'
न्यायाधीश यशवंत वर्मा का कहना है कि जिस कमरे में नोटों की गड्डियां मिलीं, वह उनके मुख्य आवास से अलग है और कई लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को नकदी की कथित बरामदगी पर एक लंबे जवाब में न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि 14 मार्च की देर रात होली के दिन दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास के स्टाफ क्वार्टर के पास स्थित स्टोर रूम में आग लग गई थी. न्यायाधीश ने लिखा, 'इस कमरे का इस्तेमाल आम तौर पर सभी लोग पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए गए कालीन, पुराने स्पीकर, बागवानी के उपकरण और सीपीडब्ल्यूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) की सामग्री जैसे सामान रखने के लिए करते थे. यह कमरा खुला है और सामने के गेट के साथ-साथ स्टाफ क्वार्टर के पिछले दरवाजे से भी इसमें प्रवेश किया जा सकता है. यह मुख्य आवास से अलग है और निश्चित रूप से मेरे घर का कमरा नहीं है, जैसा कि बताया जा रहा है.'

Advertisement
Featured Video Of The Day
Delhi Assembly में पेश हुई DTC पर CAG रिपोर्ट, DTC को 8,433,000,000 का घाटा
Topics mentioned in this article