धरने पर बैठे किसानों में कोरोना से पहली मौत, टिकरी बार्डर पर 25 साल की महिला की संक्रमण ने ली जान

टिकरी बॉर्डर पर करीब 16 हजार किसान तो सिंघू बॉर्डर पर करीब आठ हजार किसान धरने पर बैठे हैं.

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नई दिल्ली:

पिछले कई महीनों से केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे टिकरी बॉर्डर पर किसानों में शामिल एक 25 साल की युवा महिला की कोरोना की वजह से मौत हो गई. हरियाणा सरकार के मुताबिक जिस युवा महिला मोमिता की मौत हुई है, वह पश्चिम बंगाल की रहने वाली थीं. बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करने गए किसानों के साथ मोमिता थीं. वह किसानों के साथ टिकरी बॉर्डर पर धरने पर बैठी थीं. उनमें 26 अप्रैल को कोरोना के लक्षण दिखे थे. 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'उन्हें 26 अप्रैल को बुखार हुआ, जिसके बाद उन्हें जीएच बहादुरगढ़ अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां उन्हें बेड नहीं मिला. जिसके बाद उन्हें पीजीआईएमएस रोहतक ले जाया गया, वहां भी अस्पताल फुल था. फिर उन्हें बहादुरगढ़ के शिवम अस्पताल के कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया.' महिला की शुक्रवार सुबह मौत हुई है.

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हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव ने एनडीटीवी को बताया, 'उनके परिजन वहां थे और उन्हें पता था कि वह कोरोना से संक्रमित हैं. उनका अंतिम संस्कार आज बहादुरगढ़ में किया गया.'

टिकरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे बीकेयू एकता के सिंगारा सिंह मान ने बताया, 'हमें भी इस बारे में पता चला, लेकिन हम कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं.' बता दें, टिकरी बॉर्डर पर करीब 16 हजार किसान तो सिंघू बॉर्डर पर करीब आठ हजार किसान धरने पर बैठे हैं. 

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हरियाणा के डीजीपी ने बताया, 'किसानों के ग्रुप आते जाते रहते हैं, कोई आ रहा है, तो कोई जा रहा है. हमने उनसे कोरोना टेस्ट कराने के लिए कहा था. किसानों के साथ हमने बैठक भी की थी और कहा था कि आप लोग कोरोना जांच करा लिजिए, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं मानी.' उनके मुताबिक कई बैठकों के साथ प्रशासन ने उनकी जांच के लिए कैंप लगाए थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. 

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एसपी जेएस रंधावा ने एनडीटीवी से फोन पर बात करते हुए बताया, 'हमने पिछले सप्ताह भी उनके साथ तीन बैठक की थी, लेकिन उन्होंने जांच के लिए मना कर दिया, हालांकि, कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए मान गए हैं. अब तक लगभग 1500 लोगों को कोरोना का वैक्सीन लगाया जा चुका है.' साथ ही उन्होंने बताया कि प्रशासन ने सिंघू बॉर्डर के पास एक ढाबे पर वैक्सीनेशन सेंटर भी खोल दिया है. 

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हालांकि, किसान नेताओं का कहना है कि लोग जांच कराना चाहते हैं या नहीं, यह फैसला उन्हीं पर छोड़ दिया है. पीएलएस मंच के स्टेट प्रेसिडेंट अमोलक सिंह ने बताया, 'हम किसी के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते, यह सभी की व्यक्तिगत च्वाइस है. वहीं, वैक्सीनेशन की बात करे तो उसके लिए हम प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं और लोगों से टीका लगवाने के लिए कह रहे हैं.'

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