देश में कोरोना पॉजिटिविटी रेट हो रहा कम, ऑक्‍सीजन का है पर्याप्‍त स्‍टॉक : स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय

कोरोना वैक्‍सीन की उपलब्‍ध पर मंत्रालय की से कहा गया है कि 12 राज्‍यों ने 1 मई से 18+ वैक्‍सीनेशन शुरू कर दिया है. 

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देश में कोरोना केसों की संख्‍या में आई तेजी के बीच सरकार अलर्ट मोड में है (प्रतीकात्‍मक फोटो)
नई दिल्‍ली:

देश में कोरोना की पॉजिटिविटी रेट कम हो रही है. यह जानकारी सोमवार को स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में दी गई है. मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ऑक्‍सीजन की डिमांड बढ़ने के बावजूद देश में ऑक्‍सीजन का पर्याप्‍त स्‍टॉक है और भविष्‍य की जरूरत को ध्‍यान में रखते हुए हम ऑक्‍सीजन का इम्‍पोर्ट कर रहे हैं. इसके साथ ही  मंत्रालय की ओर से समझाइश  देते हुए कहा गया है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को डॉक्‍टर के संपर्क में रहने की जरूरत है.ऑक्सीजन का स्तर गिरना, अत्यधिक थकान इस बात के संकेत हैं कि घर में आइसोलेशन मेें रह रहे कोविड रोगी को अस्पताल में भर्ती कराए जाने की आवश्यकता है.

कोरोना वैक्‍सीन की उपलब्‍ध पर मंत्रालय की से कहा गया है कि 12 राज्‍यों ने 1 मई से 18+ वैक्‍सीनेशन शुरू कर दिया है. दिल्‍ली में ऑक्‍सीजन को लेकर स्थिति पर मंत्रालय नेे कहा है कि  मैदानी तौर पर निश्चित रूप से चुनौतियां हैं, केसों की संख्‍या तेजी से बढ़ी है. केंद्र और राज्‍य मिलकर काम कर रहे हैं. हम हर पेशेंट को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

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मंत्रालय की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की खास बातें..
-हमने कोविड मैनेजमेंट के लिए क्‍लीनिकल गाइइलाइंस जारी की हैं. माइल्‍ड इलनेस की स्थिति में मेडिसिन की जरूरत नहीं है. शुरुआती अवस्‍था में स्‍टेरॉयड से फायदे के बजाय नुकसान ज्‍यादा होने का अंदेशा रहता है.

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-स्‍टेनरॉयड की जरूरत केवल मॉडरेट इलनेस की अवस्‍था में होती है. मंत्रालय ने समझाइश देते हुए कहा है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को डॉक्‍टर के संपर्क में रहने की जरूरत है. ऑक्‍सीजन लेवल और सीने में दर्द, खतरे के संकेत हैं.

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-मॉडरेट किस्‍म की बीमारी का ऑक्‍सीजन थैरेपी, स्‍टेरॉयल और Anti-coagulants इलाज किया जाता है. इसे मॉइल्‍स (हल्‍के फुल्‍के लक्षण वाले) पेशेंट को नहीं दिया जाना चाहिए. दवा की टाइमिंग (Timing of drug) महत्‍वपूर्ण है.

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-अन्‍य उपाय Remdesivir, Tocilizumab and plasma हैं लेकिन ये मुख्‍य विकल्‍प के सहायक के रूप में ही हैं और केवल इमरजेंसी उपाय हैं.

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-12 राज्‍यों ने 1 मई से 18+ वैक्‍सीनेशन शुरू कर दिया है. हमारा प्रयास उन लोगों को प्राथमिकता देने का है जिन्‍हें वैक्‍सीन की सबसे ज्‍यादा जरूरत है.

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के लव अग्रवाल के अनुसार, रिकवरी रेट 81.77% केसों में रिकवरी हुई हैं, एक्टिव केस 17% और डेथ रेट 1.10% है. 

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-इस सवाल पर क्‍या सरकार ने वैक्‍सीन डोज को लेकर नया आदेश जारी किया है, मंत्रालय ने कहा-यह सही नहीं है. हमने सीरम के लिए मई, जून और जुलाई के लिए 1732 करोड़ रुपये रिलीज कर दिए हैं.बॉयोटेक के पांच करोड़ डोज के लिए हमने 787 करोड़ रुपये जारी किए हैं.

-दिल्‍ली में ऑक्‍सीजन को लेकर स्थिति पर मंत्रालय की ओर से कहा गया, मैदानी तौर पर निश्चित रूप से चुनौतियां हैं, केसों की संख्‍या तेजी से बढ़ी है. केंद्र और राज्‍य मिलकर काम कर रहे हैं. जब अस्‍पताल SOS भेजते हैं तो यह हर किसी के लिए चुनौतीभरा होता है. हम हर पेशेंट को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

-कोविड-19 के नए रोगियों के सामने आने और पुराने मरीजों के ठीक होने के बीच अंतर बढ़ना सकारात्मक संकेत है, लेकिन उपराचाधीन रोगियों के मामले में चुनौतियां बरकरार हैं.

-दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में दैनिक मामलों में कमी के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन विश्लेषण के लिहाज से यह बहुत शुरुआती संकेत हैं.

-पत्रकारों के वैक्‍सीनेशन पर कहा गया कि जर्नलिस्‍ट फ्रंटलाइन वर्कर हैं, रेलवे भी फ्रंटलाइन हैं. हमारे पास फ्रंटलाइन को लेकर काफी अनुरोध आए हैं. बड़ी संख्‍या में लोग कंटेनमेंट जोन में काम कर रहे हैं. अब हमने वैक्‍सीनेशन का दायरा बढ़ाया है, यदि आप फ्रंटलाइन कैटेगरी में नहीं है तो भी जाकर टीका लगवा सकते हैं क्‍योंकि यह उपलब्‍ध है.

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