भारत में कोविड-19 के कारण हुई मौतों की 'बड़े स्तर पर गिनती' नहीं होने संबंधी कथित मीडिया रिपोर्ट को सरकार ने सिरे से नकार दिया है. सरकार ने गुरुवार को कहा कि कोविड को लेकर अत्यधिक मृत्यु दर की रिपोर्ट्स तथ्यों पर आधारित नहीं है और पूरी तरह से भ्रामक हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया कि देश में मजबूत मृत्यु पंजीकरण सिस्टम को देखते हुए संक्रामक रोग और इसके मैनेजमेंट के कारण यह संभव है कि कुछ केस की गिनती नहीं हो पाई हो लेकिन बड़े पैमाने पर मौतों के पता न चलने की गुंजाइश नहीं है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक बयान में कहा गया है कि हाल की कुछ मीडिया रिपोर्टों में आरोप लगाया गया है कि भारत में कोरोना के कारण हुई मौतों की संख्या मिलियंस (एक मिलियन=10 लाख) में हो सकती है, इन रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की आधिकारिक मृतक संख्या को 'बहुत कम' बताया गया है. इन न्यूज रिपोर्ट्स में हाल के कुछ अध्ययनों का हवाला देते हुए अमेरिका और यूरोपीय देशों की आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर का उपयोग भारत में सीरो-पॉजिटिविटी के आधार पर अधिक मौतों की गणना के लिए किया गया है.
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इस बीच, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं होने संबंधी ‘गलत जानकारी' देकर ‘राज्यसभा को गुमराह करने' के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती पवार के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है.वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ गलत जानकारी देकर राज्यसभा को गुमराह करने के लिए स्वास्थ्य राज्य मंत्री के खिलाफ मैंने विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है.'' उन्होंने कहा, ‘‘देश का हर व्यक्ति जानता है कि ऑक्सीजन की कमी से बहुत सारे लोगों की मौत हुई. फिर एक मंत्री यह कहकर कैसे सदन को गुमराह कर सकती हैं कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। यह विशेषाधिकार हनन का मामला है.'' कांग्रेस महासचिव ने बताया, ‘‘हमने सभापति से आग्रह किया है कि आगे की कार्रवाई के लिए इस नोटिस को विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाए.''