सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को कहा कि भारत की रक्षा उत्पादन में 'आत्मनिर्भर' बनने की महत्वाकांक्षा के लिए विदेशी कंपनियों के साथ सहयोग अंदर छिपा हुआ है और उनके साथ संबंध अब सह-विकास और सह-उत्पादन का है. भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भू-रणनीतिक सुरक्षा वातावरण में हाल के दिनों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था का पुनर्मूल्यांकन हुआ है.
उन्होंने कहा, “भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताएं वैश्विक और क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर भू-राजनीतिक गतिशीलता से उत्पन्न होती हैं. इनमें रूस-यूक्रेन संघर्ष के साथ-साथ अस्थिरता और राजनीतिक अनिश्चितता शामिल है, जिसे हम अपने पड़ोस में देखते हैं.”
सेना प्रमुख ने कहा कि समकालीन सुरक्षा परिवेश और युद्ध के बदलते स्वरूप की जरुरत है कि भारतीय सशस्त्र बलों को पारंपरिक और उप-पारंपरिक क्षेत्र में चुनौतियों के व्यापक विस्तार से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि निसंदेह हमारे हित आत्मनिर्भर होने से सबसे बेहतर तरीके से सधते हैं, विशेषकर रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता से.
जनरल मनोज पांडे ने कहा कि आत्मनिर्भरता उन प्रमुख कारकों में से एक है, जिस पर किसी भी राष्ट्र की सैन्य क्षमता टिकी होती है. उन्होंने कहा कि हमारे विदेशी साझेदारों के लिये नए अवसर हैं और आत्मनिर्भरता खुद को दुनिया से अलग करने के बारे में नहीं है.
सेना प्रमुख ने कहा कि यह आत्मनिर्भरता और नीतियों का पालन करने के बारे में है जो दक्षता, गुणवत्ता और लचीलेपन को बढ़ावा देते हैं. उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विदेशी ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) के साथ सहयोग आत्मनिर्भर भारत के हमारे उद्देश्य में अंतर्निहित है और हम खरीददार और विक्रेता के अपने रिश्ते से हटकर अपने विदेशी भागीदारों के साथ सह-विकास और सह-उत्पादन की ओर बढ़ गए हैं.”
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, रक्षा क्षेत्र में चल रहे सुधार विदेशी ओईएम को भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी करने और हमारे साझा उद्देश्यों की दिशा में काम करने के अवसर प्रदान करते हैं.