पुरी के मंदिर में विदेशियों के प्रवेश के पक्ष में राज्यपाल की सलाह पर विवाद, BJP और कांग्रेस ने की आलोचना

राज्यपाल गणेशी लाल ने बृहस्पतिवार को उत्कल विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘अगर विदेशी पुरी के गजपति महाराज, सेवादारों और शंकराचार्य से मिल रहे हैं तो उन्हें मंदिर के भीतर भगवान जगन्नाथ के दर्शन से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए. यह सिर्फ एक सलाह है.’’

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भुवनेश्वर:

पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में विदेशी नागरिकों को प्रवेश देने की ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल की सलाह से नया विवाद पैदा हो गया है. तमाम परंपरावादियों और राजनीतिक नेताओं ने प्रस्ताव की आलोचना करते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया है. पूर्व मंत्री बिजय महापात्रा ने कहा कि मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने कहा, ‘‘हर साल रथयात्रा के अवसर पर जब भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ मंदिर से बाहर निकलते हैं तो गैर-हिन्दुओं सहित सभी लोग इन भाई-बहन का दर्शन कर सकते हैं. इन बातों को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए.''

पुरी के तमाम सेवादारों (पुजारियों/पंडों) ने भी महापात्र की बात से सहमति जताई है. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सुरेश रौत्री ने कहा, ‘‘धार्मिक परंपराओं में छेड़छाड़ से बचना चाहिए.'' गौरतलब है कि राज्यपाल गणेशी लाल ने बृहस्पतिवार को उत्कल विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘अगर विदेशी पुरी के गजपति महाराज, सेवादारों और शंकराचार्य से मिल रहे हैं तो उन्हें मंदिर के भीतर भगवान जगन्नाथ के दर्शन से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए. यह सिर्फ एक सलाह है.''

गौरतलब है कि 12वीं सदी में निर्मित और हिन्दुओं के चार धाम में से एक जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित है. मंदिर के मुख्य द्वार पर लगी तख्ती पर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है ‘‘सिर्फ हिन्दुओं को प्रवेश की अनुमति है.'' रविवार को मध्य प्रदेश के उज्जैनी के लिए रवाना हुए राज्यपाल से उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क नहीं हो सका. राजभवन के एक प्रवक्ता ने संपर्क किए जाने पर कहा, 'राज्यपाल ने सिर्फ एक सुझाव दिया है, और इससे आगे कुछ नहीं. उन्होंने कोई आदेश नहीं दिया है.'

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